परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर बड़ी संख्या में अनियमित, नियमविरुद्ध तथा फर्जी नियुक्तियां की गई हैं। वर्ष 2010 के बाद हुईं इन फर्जी नियुक्तियों की जांच के लिए आगरा, अलीगढ़, फीरोजाबाद, हाथरस, मुरादाबाद, फतेहपुर और हरदोई के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश अपर सचिव बेसिक शिक्षा डॉ० प्रभात कुमार ने दिये।
आज की सत्ता लखनऊ : राज्य सरकार ने प्रदेश भर में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की जांच कराने का फैसला किया है। फिलहाल अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार ने आगरा, अलीगढ़, फीरोजाबाद, हाथरस, मुरादाबाद, फतेहपुर व हरदोई के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में वर्ष 2010 के बाद सहायक अध्यापकों के पद पर हुई नियुक्तियों में अनियमितताओं की जांच कराने का आदेश जारी कर दिया है। इनमें से ज्यादातर नियुक्तियां अखिलेश और मायावती सरकारों के कार्यकाल में हुई थीं। शेष जिलों के लिए भी एक-दो दिन में आदेश कर दिए जाएंगे।
डॉ. कुमार ने गुरुवार को बताया कि शासन को जानकारी मिली है कि पिछले कई वर्षो के दौरान विभिन्न जिलों के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर बड़ी संख्या में अनियमित, नियमविरुद्ध तथा फर्जी नियुक्तियां की गई हैं। वर्ष 2010 के बाद हुईं इन फर्जी नियुक्तियों की जांच के लिए आगरा, अलीगढ़, फीरोजाबाद, हाथरस, मुरादाबाद, फतेहपुर और हरदोई के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश दिये गए हैं। अपर पुलिस अधीक्षक और सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक (बेसिक) इस समिति के सदस्य होंगे। समिति अनियमित, नियमों के खिलाफ और फर्जी नियुक्तियों की जांच करेगी। जिलाधिकारी अपनी देखरेख और निर्देशन में इस जांच को पूरी कराएंगे। इसकी समीक्षा खुद अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा करेंगे। डॉ. कुमार ने बताया कि एक-दो दिन में राज्य के अन्य जिलों के संबंध में भी आदेश जारी कर दिया जाएगा।
इन बिंदुओं पर होगी जांच: शासनादेश में जिलाधिकारियों को जांच में विभिन्न बिंदुओं को शामिल करने का निर्देश दिया गया है। इस अवधि में बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्त हुए शिक्षकों के चयन वर्ष में प्रकाशित मेरिट लिस्ट से मिलान कर यह परीक्षण किया जाएगा कि वर्तमान में जो अध्यापक कार्यरत हैं, वे वही हैं जिनके नाम चयन सूची में थे। साथ ही, कोषागार के माध्यम से वेतन सूची प्राप्त कर यह क्रॉसचेक भी किया जाएगा कि जो लोग अब शिक्षण कार्य कर रहे हैं, क्या वे वही चयनित शिक्षक/कर्मचारी हैं जिनके नाम चयन वर्ष की मेरिट लिस्ट में थे। यह भी जांच की जाएगी कि जिन शिक्षकों का नाम चयन सूची में था, उन्होंने इसके लिए कोई आवेदन किया था या नहीं। इस बारे में विज्ञापन/आवेदन पत्र/चयनित अभ्यर्थी की आवश्यक अर्हताओं की जांच भी करायी जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि जो शैक्षिक प्रमाणपत्र अभ्यर्थी ने लगाये हैं, उनका वास्तविक धारक वहीं अभ्यर्थी है। इस प्रमाणपत्र का संबंधित बोर्ड से सत्यापन कराया जाएगा। ऐसे शिक्षकों की सूची भी तैयार की जाएगी जिन्होंने नियुक्ति पत्र रजिस्टर्ड डाक की बजाय सीधे प्राप्त किये।
आज की सत्ता लखनऊ : राज्य सरकार ने प्रदेश भर में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों की जांच कराने का फैसला किया है। फिलहाल अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार ने आगरा, अलीगढ़, फीरोजाबाद, हाथरस, मुरादाबाद, फतेहपुर व हरदोई के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में वर्ष 2010 के बाद सहायक अध्यापकों के पद पर हुई नियुक्तियों में अनियमितताओं की जांच कराने का आदेश जारी कर दिया है। इनमें से ज्यादातर नियुक्तियां अखिलेश और मायावती सरकारों के कार्यकाल में हुई थीं। शेष जिलों के लिए भी एक-दो दिन में आदेश कर दिए जाएंगे।
डॉ. कुमार ने गुरुवार को बताया कि शासन को जानकारी मिली है कि पिछले कई वर्षो के दौरान विभिन्न जिलों के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर बड़ी संख्या में अनियमित, नियमविरुद्ध तथा फर्जी नियुक्तियां की गई हैं। वर्ष 2010 के बाद हुईं इन फर्जी नियुक्तियों की जांच के लिए आगरा, अलीगढ़, फीरोजाबाद, हाथरस, मुरादाबाद, फतेहपुर और हरदोई के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने के निर्देश दिये गए हैं। अपर पुलिस अधीक्षक और सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक (बेसिक) इस समिति के सदस्य होंगे। समिति अनियमित, नियमों के खिलाफ और फर्जी नियुक्तियों की जांच करेगी। जिलाधिकारी अपनी देखरेख और निर्देशन में इस जांच को पूरी कराएंगे। इसकी समीक्षा खुद अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा करेंगे। डॉ. कुमार ने बताया कि एक-दो दिन में राज्य के अन्य जिलों के संबंध में भी आदेश जारी कर दिया जाएगा।
इन बिंदुओं पर होगी जांच: शासनादेश में जिलाधिकारियों को जांच में विभिन्न बिंदुओं को शामिल करने का निर्देश दिया गया है। इस अवधि में बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्त हुए शिक्षकों के चयन वर्ष में प्रकाशित मेरिट लिस्ट से मिलान कर यह परीक्षण किया जाएगा कि वर्तमान में जो अध्यापक कार्यरत हैं, वे वही हैं जिनके नाम चयन सूची में थे। साथ ही, कोषागार के माध्यम से वेतन सूची प्राप्त कर यह क्रॉसचेक भी किया जाएगा कि जो लोग अब शिक्षण कार्य कर रहे हैं, क्या वे वही चयनित शिक्षक/कर्मचारी हैं जिनके नाम चयन वर्ष की मेरिट लिस्ट में थे। यह भी जांच की जाएगी कि जिन शिक्षकों का नाम चयन सूची में था, उन्होंने इसके लिए कोई आवेदन किया था या नहीं। इस बारे में विज्ञापन/आवेदन पत्र/चयनित अभ्यर्थी की आवश्यक अर्हताओं की जांच भी करायी जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि जो शैक्षिक प्रमाणपत्र अभ्यर्थी ने लगाये हैं, उनका वास्तविक धारक वहीं अभ्यर्थी है। इस प्रमाणपत्र का संबंधित बोर्ड से सत्यापन कराया जाएगा। ऐसे शिक्षकों की सूची भी तैयार की जाएगी जिन्होंने नियुक्ति पत्र रजिस्टर्ड डाक की बजाय सीधे प्राप्त किये।
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