शहर उरई में लग रहे जाम के असल में जिम्मेदार है हमारा प्रसाशन है जो दोगले रवैये का व्यवहार करता है | शहर में जाम लगने के स्थान माहिल तालाब,घंटाघर चौराहा,लालमन चौराहा और मुख्य रूप से बजरिया है | पूरे बाजार में चूड़ी मार्केट में प्रत्येक दूकानदार कम से कम 5 फुट आगे दुकान निकाले है और फिर उसकी दुकान में आने वाले ग्राहकों की बाइकें खड़ी हो जाती है | अब रास्ता केवल 5 फिट ही बचता है लेकिन प्रसाशन इस तरफ कभी नहीं देता है | दूसरी तरफ पीलीकोठी पर तैनात ट्राफिक पुलिसकर्मी दिन में नो इंट्री होने के बाद केवल अपना सूजा को ऑटो और आपे के लिए निकालते है, और चारपहिया बाहनो मे लोडर, बुलेरो, सफारी, इनोबा,महगी कारो को ये लोग बड़ी आसानी से अन्दर जाने देते है। क्या नो इंट्री का नियम इन पर लागू नहीं होता है ? और इन्ही बाहनो के कारण पूरा शहर जाम में फंसा रहता है |
अतिक्रमण शहर के बाहर नहीं है शहर के अन्दर है जिसको प्रसाशन अनदेखा कर देता है और नगर पालिका की कूड़ा गाड़ियों का कोई नियम नहीं जब मन में आता है गाड़ी लेकर कूड़ा उठाने चल देते है |
न कोई रोकने वाला है और न ही कोई टोकने वाला है ,भरे बाजार में अपनी जेसीबी लगा देते है और उसकी दुर्गन्ध पूरे शहर में फैलाते हुए चले जाते है |यह नजारा जिला महासचिव अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन ने
देख कर अचंभे में पड़ गए कि नजाने हमारा जिला प्रशासन कब जागेगा कब तक थ्री व्हीलर वाहन यूं ही ट्रैफिक पुलिस की मार खाते रहेंगे की अमीर लोगों पर इनका बस नहीं चलता अमीरों की गुस्सा अपने बालों पर निकाला जाता है इसके लिए अफसरों को गौर करना चाहिए क्योंकि कानून तो सबके लिए बराबर का होता है फिर सौतेला व्यवहार क्यों आज की सत्ता न्यूज़
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