लखनऊ : भाजपा पिछड़ी ,अति पिछड़ी और दलित जातियों के वोट को साधने के लिए सामाजिक सम्मेलन के आयोजन में जुट गई है इन सम्मेलनों से भाजपा महागठबंधन की काट खोज रही है। पिछड़ों के वोट को साधने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को आगे किया जा रहा है। भाजपा ने नाई समाज के प्रमुख नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम पर हर जिले में एक सड़क बनाने का ऐलान डिप्टी सीएम मौर्य के द्वारा कराया। इससे पहले प्रजापति और राजभर समाज का कार्यक्रम हुआ था। जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव का जिक्र किया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह उन्हें तय करना है कि सुहेलदेव को याद रखने वालों के साथ रहना है या फिर गजनवी का साथ देने वालों के साथ मुख्यमंत्री ने चित्तौड़ा में सुहेलदेव की प्रतिमा लगाने का भी ऐलान किया था।
सपा और बसपा के गठबंधन के ऐलान के बाद बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती वोट प्रतिशत को बढ़ाने की है। यही वजह है कि बीजेपी पिछड़ी जातियों पर कुछ ज्यादा ही दांव लगा रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी करके ही बीजेपी ने यूपी में भारी सफलता हासिल की थी। एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशन में पार्टी का सारा जोर पिछड़ों और अति पिछड़ों को अपने पाले में लाने पर है। बिहार में अति पिछड़ों को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ने का बड़ा श्रेय कर्पूरी ठाकुर को जाता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कर्पूरी ठाकुर की ही तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग से यादव को अलग करते हुए अति पिछड़े वर्ग को जनता दल यूनाइटेड के साथ जोड़ा और सरकार बनाई। उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी यादवों से अलग ओबीसी की अन्य जातियों को लुभाने में लगी है।
योगी सरकार पर महापुरुषों के नाम का प्रयोग राजनैतिक फायदे के लिए करने का आरोप भी लगा है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि बीजेपी हमेशा से ही महापुरुषों के नाम का प्रयोग राजनैतिक फायदे के लिए करती रही है। उसे इन महापुरुषों की विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है। बीजेपी बाबा साहेब अम्बेडकर, महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे महापुरुषों का नाम लेती है। यह सिर्फ एक ड्रामा है। पहले योगी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर जयंती पर छुट्टी रद्द कर दी और जब उन्हें पता चला कि अति पिछड़ों का वोट साधना है तो फिर से अवकाश घोषित कर दिया।
योगी सरकार बनते ही सबसे पहले अखिलेश सरकार में जारी की गई छुट्टियों की लिस्ट को देख कर छुट्टिया रद्द की गई। इसमें कर्पूरी ठाकुर जयंती समेत तमाम छुट्टियां थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि महापुरुषों के नाम पर स्कूलों में छुट्टियां नहीं होनी चाहिए. बल्कि उस दिन बच्चों को महापुरुषों के बारे में बताना चाहिए। हालांकि जनवरी में योगी सरकार अपने इस फैसले को पलटते हुए कर्पूरी ठाकुर और संत रविदास जयंती पर अवकाश की घोषणा कर चुकी है।
पिछड़े समाज के नेता केशव प्रसाद मौर्य की बजह से उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग और दलित वर्ग जुड़ा था लेकिन सीएम की जगह डिप्टी सीएम का पद भाजपा ने केशव मौर्या को दिया इस बजह से इस बार यह समाज भाजपा को पूरा सहयोग नही करेगा इस तरह की चर्चा राजनैतिक गलियारों में चल रही है।
आज की सत्ता उत्तर प्रदेश सह-संपादक डीपीएस कुशवाहा की कलम से
सपा और बसपा के गठबंधन के ऐलान के बाद बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती वोट प्रतिशत को बढ़ाने की है। यही वजह है कि बीजेपी पिछड़ी जातियों पर कुछ ज्यादा ही दांव लगा रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी करके ही बीजेपी ने यूपी में भारी सफलता हासिल की थी। एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देशन में पार्टी का सारा जोर पिछड़ों और अति पिछड़ों को अपने पाले में लाने पर है। बिहार में अति पिछड़ों को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ने का बड़ा श्रेय कर्पूरी ठाकुर को जाता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कर्पूरी ठाकुर की ही तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग से यादव को अलग करते हुए अति पिछड़े वर्ग को जनता दल यूनाइटेड के साथ जोड़ा और सरकार बनाई। उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी यादवों से अलग ओबीसी की अन्य जातियों को लुभाने में लगी है।
योगी सरकार पर महापुरुषों के नाम का प्रयोग राजनैतिक फायदे के लिए करने का आरोप भी लगा है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि बीजेपी हमेशा से ही महापुरुषों के नाम का प्रयोग राजनैतिक फायदे के लिए करती रही है। उसे इन महापुरुषों की विचारधारा से कोई लेना देना नहीं है। बीजेपी बाबा साहेब अम्बेडकर, महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल जैसे महापुरुषों का नाम लेती है। यह सिर्फ एक ड्रामा है। पहले योगी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर जयंती पर छुट्टी रद्द कर दी और जब उन्हें पता चला कि अति पिछड़ों का वोट साधना है तो फिर से अवकाश घोषित कर दिया।
योगी सरकार बनते ही सबसे पहले अखिलेश सरकार में जारी की गई छुट्टियों की लिस्ट को देख कर छुट्टिया रद्द की गई। इसमें कर्पूरी ठाकुर जयंती समेत तमाम छुट्टियां थीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि महापुरुषों के नाम पर स्कूलों में छुट्टियां नहीं होनी चाहिए. बल्कि उस दिन बच्चों को महापुरुषों के बारे में बताना चाहिए। हालांकि जनवरी में योगी सरकार अपने इस फैसले को पलटते हुए कर्पूरी ठाकुर और संत रविदास जयंती पर अवकाश की घोषणा कर चुकी है।
पिछड़े समाज के नेता केशव प्रसाद मौर्य की बजह से उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग और दलित वर्ग जुड़ा था लेकिन सीएम की जगह डिप्टी सीएम का पद भाजपा ने केशव मौर्या को दिया इस बजह से इस बार यह समाज भाजपा को पूरा सहयोग नही करेगा इस तरह की चर्चा राजनैतिक गलियारों में चल रही है।
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