--राजेन्द्र भगत--
एनआरसी के मुद्दे पर पूरे देश में हो-हल्ला हो रहा है देश के हर नागरिक का यह अधिकार है कि उसको देश का नागरिक होने के सभी अधिकार प्राप्त हो अगर उसके अधिकारों पर बाहरी देशों से आए घुसपैठिए अधिकार जमाएं तो यह देश के नागरिकों के अधिकारों का हनन होगा।
आज पूरे देश में एनआरसी (नेशनल रेजीडेंसी ऑफ सिटीजन) के मुद्दे पर सभी पार्टियां अपने अपने वोट बैंक को साध कर बयान बाजी कर रही हैं कुछ पार्टियां घुसपैठ करने वाले विदेशी नागरिकों की शिनाख्त करके उन्हें देश से बाहर करने की कोशिश में है तो कुछ इन बाहरी नागरिकों को देश में ही रखने की कोशिश में हो हल्ला कर रहे हैं अब विचार करने योग्य बात है कि आखिर यह देश की पार्टियां जिनका प्रथम कर्तव्य देश एवं देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है वह पार्टियां आज विदेशी नागरिकों से इतना मोह क्यों दर्शा रही है।
अगर हम गौर करें तो इन पार्टियों ने इन विदेशी नागरिकों को ही देश में जबरन बसाने का कार्य किया है और इन्हें फर्जी वोटर बनाकर सदा सदा के लिए अपनी पार्टियों की जागीर बना कर रखा है आज यह पार्टियां विदेशी घुसपैठ करने वाले नागरिकों के साथ खड़ी नजर आ रही है जिस कारण पूरे देश में हल्ला मचा हुआ है आसाम से एनसीआर की शुरुआत हुई जिसमें आसाम के नागरिक गदगद नजर आते हैं यह वहां के नागरिकों की कई वर्षों पुरानी मांग भी थी ज्ञात रहे कि इससे पूर्व भी सरकारों ने एनआरसी को लागू करने की कोशिश की थी परंतु कुछ अन्य कारणों के कारण इस में देरी हुई परंतु आज सरकार ने एनआरसी को लागू कर दिया है जिसकी शुरुआत आसाम से हुई है प्रत्येक देश अपने नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई करते रहे हैं जिस कारण उनके नागरिकों की संख्या, संख्या के आधार पर सरकारी योजनाएं एवं उन्हें मिलने वाले लाभ पर सरकारें बजट बनाती हैं परंतु घुसपैठिए नागरिक इस गणना में नहीं आते वह केवल रिफ्यूजी तौर पर देश में रह सकते हैं परंतु समय सीमा के बाद उन्हें अपने देश वापस जाना अनिवार्य होता है परंतु भारत में जिस तरह कुछ पार्टियां इन नागरिकों के लिए अपने मूल नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही हैं इससे इन राजनीति पार्टियों की वोटबैंक पाल्सी सबके सामने आ रही है हालांकि कुछ पार्टियों ने देश के नागरिकों की नब्ज को पहचान कर अपने एजेंडे में बदलाव किया है और वह देश के नागरिकों के साथ खड़ी होने की कोशिश कर रहे हैं परंतु कुछ पार्टियां इस मुद्दे को जातिवाद या धर्म का रंग दे कर इस ऐतिहासिक कार्य को उलझाने की कोशिश कर रही हैं
यह तो जगजाहिर है कि बांग्लादेश एवं वर्मा इत्यादि से भारत में घुसपैठ करने वाले नागरिक मुस्लिम ही होंगे क्योंकि इन देशों में अधिकतर संख्या मुस्लिम नागरिकों की है परंतु किसी भी बाहरी नागरिक को मुस्लिम या हिंदू नहीं कहा जा सकता वह केवल विदेशी नागरिक है चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों ना हो बदले माहौल में पूरी दुनिया में आतंकवाद का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है विदेशी ताकतें हमेशा से अपने नागरिकों की घुसपैठ भारत में करा कर अपने आतंकी संगठनों को हमारे नागरिकों में छिपाकर भारत में गड़बड़ी करती रही हैं भारत के पास इसके पुख्ता प्रमाण है हमेशा से रोहंगिया एवं बंगला देश से आने वाले नागरिकों पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर रही है क्योंकि इन में बहुत से लोग ऐसे भी पकड़े गए हैं जो आतंकवादी घटनाओं में शामिल रहे हैं जो आतंकवादी संगठनों को भारत में बढ़ावा देने की फिराक में रहे हैं रोहंगिया पूरी दुनिया में खूंखार प्रगति के होने के कारण दुनिया की नजर इन पर रही है भारत भी इन पर कड़ी नजर रखे हुए हैं परंतु देश की कुछ पार्टियां जिन्होंने इन्हें फर्जी वोट बैंक बनाकर अपने लिए इस्तेमाल किया है वह आज इन रोहंगिया एवं घुसपैठ करने वाले अन्य विदेशी नागरिकों के साथ खड़ी नजर आ रही है जो देश के लिए एक गंभीर समस्या है अब समय आ गया है कि देश की सरकार एनआरसी को आसाम के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी लागू करें जिस से विदेशी नागरिकों की पहचान हो और उचित निर्णय हो कि आखिर विदेशी घुसपैठियों को आम नागरिकों से अलग करके अपने नागरिकों को प्रथम श्रेणी में रख कर उन्हें उनके अधिकारों से वंचित होने से रोका जाए
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