करवा चौथ 2018 दिनांक 27 अक्टूबर, 2018 (शनिवार) करवा चौथ पूजा मुहूर्त 17:40:34 से 18:47:42 तक पूजा की अवधि 1 घंटे 7 मिनट करवा चौथ चंद्रोदय समय 19:55:00 चतुर्थी तिथि आरंभ 18:37 (27 अक्टूबर) चतुर्थी तिथि समाप्त 16:54 (28 अक्टूबअक्टूबर)
करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को देशभर में मनाया जाता है। इस दिन सुहागने अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। इसके अलावा कई अविवाहित स्त्रियाँ भी अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ के इस व्रत को रखती हैं। इस त्योहार को पुराने काल से पूरे उत्तर भारत में ज़ोर-शोर से मनाया जाता रहा है। ?
करवा चौथ व्रत का मुहूर्त
करवा चौथ (Karwa Chauth) दिनांक 27 अक्टूबर 2018, शनिवार को देशभर में मनाया जाएगा। इस त्योहार में महिलाएं पूरा दिन निराजल व्रत रखकर रात्रि में चन्द्रमा के दर्शन के बाद उसे अर्ध्य देकर पूरे विधि-विधान के साथ अपना व्रत खोलती हैं। वर्ष 2018 में करवा चौथ के दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है। इस कारण इस साल यह पर्व और शुभ हो गया है।
व्रत खोलने का शुभ समय
ज्योतिषाचार्य अशोक आर्या के अनुसार चंद्रोदय यानी चांद के दिखने का समय कल यानी व्रत वाले दिन, रात्रि 7 बजकर 43 मिनट पर होगा। यह समय लखनऊ शहर का है।चांद को अर्घ्य देकर ही महिलाओं के व्रत खोलने से ये व्रत सफल होता है।
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि
भोर में सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफ़ाई करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें जिसे हम सरगी भी कहते हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं एवं विवाहित स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं। इन सोलह श्रृंगारों में माथे पर लंबा सिंदूर होना शुभ माना गया हैं, क्योंकि यह लंबा सिंदूर ही पति की लंबी उम्र का प्रतीक होता है। मंगलसूत्र, बिंदिया, मांग टीका, नथनी, काजल, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये सभी 16 श्रृंगार में आते हैं।सोलह श्रृंगार कर महिलाएं सज संवर कर चंद्रमा दर्शन के शुभ मुहूर्त में चलनी से पति को देखती हैं।इसके बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं, चंद्रमा को मन और सुंदरता का प्रतीक माना गया है। हर महिला चंद्रमा के सामने इस दिन सुंदर दिखना चाहती हैं क्योंकि कहा जाता हैं कि ऐसा करने से पति का पत्नी के प्रति आकर्षण बढ़ता है।चंद्रमा निकलने से पहले एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें।पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में घी का इस्तेमाल शुभ माना गया है। चन्द्रमा निकलने के मुहूर्त से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू कर लेनी चाहिए। परिवार की सभी महिलाओं का साथ पूजा करना शुभ माना गया है। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा ध्यानपूर्वक सुनें या सुनाएँ।चन्द्र-दर्शन के बाद हर बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिठाई, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद ले, ऐसा करने से पति को लम्बी आयु मिलती है।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त:
शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक.
कल सुहागनें रखेंगी साल का सबसे मुख्य व्रत ‘करवा चौथ’ जानें इस व्रत की सही विधि, पूजा समय और शुभ मुहूर्त |
करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को देशभर में मनाया जाता है। इस दिन सुहागने अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। इसके अलावा कई अविवाहित स्त्रियाँ भी अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ के इस व्रत को रखती हैं। इस त्योहार को पुराने काल से पूरे उत्तर भारत में ज़ोर-शोर से मनाया जाता रहा है। ?
करवा चौथ व्रत का मुहूर्त
करवा चौथ (Karwa Chauth) दिनांक 27 अक्टूबर 2018, शनिवार को देशभर में मनाया जाएगा। इस त्योहार में महिलाएं पूरा दिन निराजल व्रत रखकर रात्रि में चन्द्रमा के दर्शन के बाद उसे अर्ध्य देकर पूरे विधि-विधान के साथ अपना व्रत खोलती हैं। वर्ष 2018 में करवा चौथ के दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है। इस कारण इस साल यह पर्व और शुभ हो गया है।
व्रत खोलने का शुभ समय
ज्योतिषाचार्य अशोक आर्या के अनुसार चंद्रोदय यानी चांद के दिखने का समय कल यानी व्रत वाले दिन, रात्रि 7 बजकर 43 मिनट पर होगा। यह समय लखनऊ शहर का है।चांद को अर्घ्य देकर ही महिलाओं के व्रत खोलने से ये व्रत सफल होता है।
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि
भोर में सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफ़ाई करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें जिसे हम सरगी भी कहते हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं एवं विवाहित स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं। इन सोलह श्रृंगारों में माथे पर लंबा सिंदूर होना शुभ माना गया हैं, क्योंकि यह लंबा सिंदूर ही पति की लंबी उम्र का प्रतीक होता है। मंगलसूत्र, बिंदिया, मांग टीका, नथनी, काजल, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये सभी 16 श्रृंगार में आते हैं।सोलह श्रृंगार कर महिलाएं सज संवर कर चंद्रमा दर्शन के शुभ मुहूर्त में चलनी से पति को देखती हैं।इसके बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं, चंद्रमा को मन और सुंदरता का प्रतीक माना गया है। हर महिला चंद्रमा के सामने इस दिन सुंदर दिखना चाहती हैं क्योंकि कहा जाता हैं कि ऐसा करने से पति का पत्नी के प्रति आकर्षण बढ़ता है।चंद्रमा निकलने से पहले एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें।पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में घी का इस्तेमाल शुभ माना गया है। चन्द्रमा निकलने के मुहूर्त से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू कर लेनी चाहिए। परिवार की सभी महिलाओं का साथ पूजा करना शुभ माना गया है। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा ध्यानपूर्वक सुनें या सुनाएँ।चन्द्र-दर्शन के बाद हर बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिठाई, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद ले, ऐसा करने से पति को लम्बी आयु मिलती है।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त:
शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक.
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