अपने लाल के शहादत की खबर सुनकर घरवालों के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। उन्हें गर्व तो है कि उनके बेटे ने देश के लिए कुर्बानी दे दी लेकिन साथ ही गुस्सा भी है। गुस्सा उस देश के लिए जिसने नफरत के नाम पर आतंक के बीच बोए और जवानों पर कायरता पूर्ण हमला कर दिया।
पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए'
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों में से बिहार के भागलपुर के रतन ठाकुर भी शामिल थे। उनके पिता को जब अपने बेटे की शहादत की खबर मिली तो वह पिता बेसुध हो गए। वह कहते हैं, 'मैं देश की मातृभूमि की सेवा में एक बेटा खो चुका हूं। मैं अपने दूसरे बेटे को भी मातृभूमि की खातिर लड़ने और कुर्बान होने को तैयार रहने के लिए भेजूंगा लेकिन पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए।'
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में वाराणसी के लाल रमेश यादव भी शहीद हो गए। हादसे से कुछ देर पहले रमेश ने पत्नी रेनू और परिजनों से फोन पर बात की थी। उन्होंने बताया कि वह जम्मू कैम्प से श्रीनगर जा रहे हैं और वहां पहुंचकर फिर बात करेंगे। काफी देर बाद जब रमेश का फोन नहीं आया तो रेनू ने खुद उन्हें फोन मिलाया लेकिन फोन नहीं मिला।
रात आठ बजे सीआरपीएफ हेड क्वार्टर से उनके शहीद होने की खबर मिली तो परिवार में कोहराम मच गया। उनके पिता श्याम नारायण यादव का रो-रोकर बुरा हाल है। श्यामनारायण यादव ने कहा कि उनका कमाने वाला बेटा शहीद हो गया, अब घर कैसे चलेगा।
पुलवामा आंतकी हमले में पंजाब के मोगा के रहने वाले जवान जयमाल सिंह भी शहीद हुए। बताया जा रहा है कि सीआरपीएफ की जिस बस पर हमला हुआ उसे जयमाल सिंह ही चला रहे थे। जैसे ही काफिला पुलवामा पहुंचा एक कार बम उनकी बस में भिड़ी और तेज धमाके में परखच्चे उड़ गए। जयमाल सिंह की शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार में गम का माहौल है।
20 दिन की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर गए थे
शहीद होने वालों में उत्तराखंड के दो जवानों भी शामिल थे। शहीद वीरेंद्र सिंह उधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के रहने वाले हैं। इनके दो छोटे बच्चे है। बड़ी बेटी 5 साल की, जबकि ढाई साल का बेटा है। वीरेंद्र दो दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जम्मू के लिए रवाना हुए थे। दूसरे शहीद जवान मोहन लाल रतूड़ी उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड के बनकोट का रहने वाले हैं। शहीद जवान मोहन लाल रतूडी 55 साल के थे। वर्तमान में मोहन लाल का परिवार देहरादून के डिफेंस कालोनी में रहता है। मोहन लाल सीआरपीएफ की 76 वीं वाहिनी में एएसआई थे।
दो दिन पहले ही वापस गए थे प्रदीप
पुलवामा में तैनात शामली के प्रदीप बनत गांव के रहने वाले थे। उनकी शहादत की खबर ने हर किसी को हिला दिया। घर से लेकर पूरे गांव में कोहराम मच गया। किसी को यकीन नहीं हो रहा है कि प्रदीप अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। गांववालों ने बताया कि प्रदीप के अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल होने घर आए थे। वह दो दिन पहले ही वापस गए थे।
पिता के लिए फूट-फूटकर रो पड़ीं बेटियां
जम्मू-कश्मीर के इस आंतकी हमले में उन्नाव के अजीत कुमार आजाद भी शहीद हुए हैं। हमले की खबर मिलने के बाद उनका परिवार दहशत में आ गया। परेशान होकर चारों तरफ फोन करने शुरू कर दिए लेकिन अजीत से संपर्क नहीं हो पाया। शाम को टीवी पर जब शहीदों के नाम आए तो उन्हें पता चला की हमले में वह भी शहीद हो गए हैं। अजीत की दो बेटियां ईशा और श्रेया अपनी मां मीना के साथ लिपट गईं और फूट-फूटकर रोने लगीं।
फोन पर बात करते-करते हुए धमाका
वहीं कन्नौज के सुखचैनपुर गांव के निवासी प्रदीप सिंह यादव की पत्नी नीरज देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि वह उस वक्त अपने पति से बात ही कर रही थीं तभी तेज धमाके की खबर आई। उन्होंने कहा कि दोबारा फोन मिलाने पर नहीं मिला और फिर टीवी पर देखा तो दंग रह गई। वह कहती हैं कि कोई जानकारी न मिलने पर पति की सलामती की दुआ करने लगीं। फिर शाम को कंट्रोल रूम से कॉल आया तो पति की शहादत की खबर मिली।
(News source:- nbt)
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