पाकिस्तान को जो नुकसान हो, लेकिन भारत को भी कोई आर्थिक फायदा नहीं होने वाला, उल्टा नुकसान ही होगा। हालांकि, आतंकवाद जैसे घृणित एवं अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाने का पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए आर्थिक नफा-नुकसान पर बहुत विचार नहीं किया जा सकता।
[https://m.navbharattimes.indiatimes.com/video/news/pulwama-terror-attack-centre-withdraws-mfn-status-from-pakistan/videoshow/68004736.cms] [india pakistan news: india takes back mfn status from pakistan after pulwana terror attack - पुलवामा हमले के बाद भारत का कड़ा कदम, पाकिस्तान से छीना एमएफएन स्टेटस, समझें इसका मतलब |
नई दिल्ली
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में भीषण आतंकवादी हमले में 37 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया 'मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन)' का दर्जा वापस ले लिया है। हमले के एक दिन बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई 'कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी' में पाकिस्तान को मिले इस दर्जे को 22 वर्षों बाद खत्म करने का फैसला किया गया। इस अति-उच्चस्तरीय बैठक में शामिल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया को इसकी जानकारी दी। आइए जानते हैं क्या होता है मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा और पाकिस्तान से इसकी वापसी के मायने क्या हैं...
क्यों मिलता है एमएफएन स्टेटस?दरअसल, दो देशों के बीच होने वाले 'मुक्त व्यापार समझौते' के तहत एमएफएन का दर्जा दिए जाने का प्रावधान है। एमएफएन एक आर्थिक दर्जा है जो एक देश किसी दूसरे देश को देता है या दोनों देश एक-दूसरे को देते हैं। कोई देश जिन किन्हीं देशों को यह दर्जा देता है, उस देश को उन सभी के साथ व्यापार की शर्तें एक जैसी रखनी होती हैं। जिन देशों को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है, उन्हें व्यापार में बाकियों के मुकाबले कम शुल्क, ज्यादा व्यापारिक सहूलियतें और उच्चतम आयात कोटा की सुविधा दी जाती है।
क्या फायदा?
एमएफएन स्टेटस का इस्तेमाल लोन अग्रीमेंट और कमर्शल ट्रांजैक्शन में भी होता है। लोन अग्रीमेंट के तहत किसी एमएफएन दर्जा प्राप्त देश के लिए तय ब्याज दर से कम दर किसी सामान्य देश को ऑफर नहीं किया जाएगा। वहीं, कमर्शल ट्रांजैक्शन के मामले में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा प्राप्त देश से सस्ती डील किसी दूसरे देश को नहीं दी जाएगी।
किसको फायदा?
छोटे और विकासशील देशों के लिए एमएफएन स्टेटस कई मायनों में महत्वपूर्ण होता है। इससे उनकी बड़े मार्केट तक पहुंच बनती है और उन्हें सस्ते में वस्तुएं आयात करने का मौका मिल पाता है जबकि निर्यात की लागत भी कम हो जाती है क्योंकि उन पर बाकियों के मुकाबले कम शुल्क वसूले जाते हैं। इससे छोटे देशों को भी निर्यात के मोर्च पर बड़े देशों से मुकाबला करने में मदद मिलती है।
पाकिस्तान की बेरुखी
भारत ने पाकिस्तान को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) बनने के एक साल बाद 1996 में ही एमएफएन का दर्जा दे दिया था, लेकिन पाकिस्तान ने आज तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया। उरी हमले के बाद भी भारत पर पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा छीनने का दबाव बना, लेकिन तब भारत सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।
अब किसको नुकसान?
भारत का पाकिस्तान के साथ निर्यात ज्यादा, आयात कम होता है। यानी, भारत ट्रेड सरप्लस की स्थिति में होता है। अब पाकिस्तान से एमएफएन स्टेटस छिनने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार को झटका लगना तय माना जा रहा है। संदेह यह भी है कि पाकिस्तान भारत से व्यापार पूरी तरह खत्म ही कर दे। पाकिस्तान को जो नुकसान हो, लेकिन भारत को भी कोई आर्थिक फायदा नहीं होने वाला, उल्टा नुकसान ही होगा। हालांकि, आतंकवाद जैसे घृणित एवं अमानवीय कृत्यों पर लगाम लगाने का पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए आर्थिक नफा-नुकसान पर बहुत विचार नहीं किया जा सकता।
(News source:-nbt)
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