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Thursday, October 31, 2019

*✒31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस विशेष 🏅👇👇*



*सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। सरदार पटेल एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आजार भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है।*
*31 अक्टूबर 1875 गुजरात के नाडियाद में सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। उन के पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटे और चौथे नंबर पर थे।*
*शिक्षा : सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा का प्रमुख स्त्रोत स्वाध्याय था। उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और उसके बाद पुन: भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की।*
*स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी : सरदार पटेल ने माहात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। सरदार पटेल द्वारा इस लड़ाई में अपना पहला योगदान खेड़ा संघर्ष में दिया गया, जब खेड़ा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की। जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्ररित किया। अंत में सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत दे दी गई।*
*सरदार पटेल नाम यूं पड़ा :  सरदार पटेल को सरदार नाम, बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला, जब बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए उन्हें पह ले बारडोली का सरदार कहा गया। बाद में सरदार उनके नाम के साथ ही जुड़ गया।*
*योगदान : आजादी के बाद ज्यादातर प्रांतीय समितियां सरदार पटेल के पक्ष में थीं। गांधी जी की इच्छा थी, इसलिए सरदार पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से दूर रखा और जवाहर लाल नेहरू को समर्थन दिया। बाद में उन्हें उपप्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री का पद सौंपा गया, जिसके बाद उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों तो भारत में शामिल करना था। इस कार्य को उन्होंने बगैर किसी बड़े लड़ाई झगड़े के बखूबी किया। परंतु हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए सेना भेजनी पड़ी।*
*चूंकि भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था, इसलिए उन्हें भारत का लौह पुरूष कहा गया। 15 दिसंबर 1950 को भारत का उनकी मृत्यु हो गई और यह लौह पुरूष दुनिया को अलविदा कह गया।*
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*✒इंदिरा गांधी पुण्यतिथि विशेष : 31 अक्तूबर एक ऐसी 'तारीख' जिसने भारत को बदल दिया*
*इंदिरा गांधी बड़े नेताओं को पछाड़ते हुए एक बड़ी राजनेतिक शख्सियत बनकर उभरीं और देश की पीएम बनीं। 31 अक्तूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के दो सिख बॉडीगार्ड ने कर दी थी।*

*इकलौती संतान होने और पिता के राजनितिक जीवन के कारण इंदिरा का बचपन कठिनाईयों में बीता। साथ ही उनकी मां की मौत बीमारी के कारण हो गई थी*
*फिरोज ने इंदिरा से शादी के लिए 1933 में ही प्रस्ताव रखा था लेकिन उस समय इंदिरा की मां ने इस रिश्ते से इंकार कर दिया था। इंदिरा की मां की तबीयत बिगड़ने के दौरान फिरोज नेहरू परिवार के समीप आए।*
*24 जून 1975 को इंदिरा गांधी अपने निवास पर एक रैली को संबोधित किया। जिसके अगले ही दिन 21 महीने लंबी इमरजेंसी लगाई गई। इमरजेंसी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री की ताकत काफी बढ़ गई और उन्होंने इसका विपक्ष को कमजोर करने में भरपूर फायदा उठाया।*
*1984 में इंदिरा की हत्या से पहले भी 1980 में भी उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई थी। बड़ौदा के राम बलचंद लालवानी नाम के शख्स ने पूर्व प्रधानमंत्री पर 4 इंच लंबा चाकू फेंका था, जिससे इंदिरा बाल बाल बची थीं।*
*1966 में इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की। इसके बाद दूसरी बार जनवरी 1980 से अपनी हत्या तक इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री रहीं।*
*23 जून 1984 को इंदिरा गांधी अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में गयी।इसी साल इंदिरा सरकार के कार्यकाल में ही खालिस्तानी सर्मथकों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया। जिससे सिख सुदाय के लोगों की आस्था को ठेस पहुंची।*
*31 अक्तूबर 1984 की सुबह इंदिरा के बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बेंअत सिंह ने इंदिरा गांधी पर गोलियां बरसा दीं। इंदिरा गांधी की हत्या उसी दिन गोलियों को 30 घावों के कारण हो गई।*
*सिख बॉडीगार्ड द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में दंगे भड़क गए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इन दंगों में लगभग 2000 लोग मारे गए और हजारों लोगों ने शहर छोड

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