डॉ अजय कुमार, सिद्धार्थनगर
महान वैज्ञानिक एवं भारत में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ होमो जहांगीर भाभा को उनके 111वे जन्म दिवस के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि। डॉक्टर भाभा का जन्म 30अक्टूबर 1909 को बम्बई के पारसी परिवार में हुआ था।1930 में इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पुरी की। पुनः पिता के सुझाव पर इन्होंने भौतिक विज्ञान से पढ़ाई की।1935 में कास्मिक किरणों से सम्बन्धित पहला शोध पत्र लिखा और लंदन के एक अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में प्रस्तुत किया।1939 मे दूसरे विश्व युद्ध के आरंभ होने से डा भाभा स्वदेश लौट आए। महान वैज्ञानिक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ सी.वी रमन के निमंत्रण पर डां भाभा ने भारतीय विज्ञान संस्थान ज्वाइन कर लिया। वहां डॉ होमो जहांगीर भाभा ने एक शिक्षक के रूप में पढ़ाया।1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फण्डामेण्टल रिसर्च की स्थापना हुई, इसके पहले निदेशक डॉ होमो जहांगीर भाभा बने।बाद में इस संस्था का नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया। डॉक्टर भाभा की मौत 24 जनवरी 1966 को बाम्बे से न्युयॉर्क जा रहे विमान के दुर्घटना से हुई। यह एक बड़ी त्रासदी थी। भारत के विज्ञान कार्यक्रम को गहरा धक्का लगा।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि डॉक्टर भाभा की मौत एक साज़िश थी ,या दुर्घटना।
कुछ लोग यह मानते हैं कि अमेरिका की गुप्तचर एजेंसी सी.आई.ए की साज़िश के शिकार हुए। इसके बारे में लोग यह तर्क देते हैं कि डॉक्टर भाभा 1950 के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से भारत में नाभिकीय ऊर्जा एवं परमाणु कार्यक्रम को पूरा कर रहे थे। यह अमेरिका के लिए खतरा था। इसका प्रमाण पत्रकार जी,.डगलश एवं सी.आई.ए.अधिकारी राबर्ट क्राउली के पत्र को लेते हैं।
अभी तक उनकी मृत्यु से सम्बन्धित कुछ और गोपनीय जानकारी नहीं है।
डॉक्टर भाभा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं लाल बहादुर शास्त्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे। डॉक्टर भाभा की मौत भारत के लिए एक बड़ी त्रासदी थी। डॉक्टर भाभा को हार्दिक नमन।
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