मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म दिन 11 नवंबर प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आजाद एक महान स्वतंत्रता सेनानी, गांधी जी के अनन्य सहयोगी, उर्दू एवं अरबी भाषा के विद्वान थे। आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। सामान्यतः यह धारणा है कि मात्र 11 वर्ष की उम्र में इन्होंने कुरान का अध्ययन कर लिया था। इनके पूर्वज कलकत्ता के निवासी थे,1857 की क्रान्ति के पूर्व ही कलकत्ता छोड़ कर सउदी अरब चले गए। इनके पिता मुहम्मद खैरूद्दीन फारस मूल के थे,बाबर के भारत पर आक्रमण के बाद इनके पूर्वज भारत आते, जबकि माता ईरानी मूल की महिला थी।
1912 में इन्होंने अलहिलाल नामक पत्र निकाला। जिसका उद्देश्य मुस्लिम समाज में शिक्षा का सुधार था।
1916 में अलविलाग पत्र निकाला।
मौलाना अबुल कलाम आजाद , भारत में खिलाफत आन्दोलन में बड़ी भूमिका में रहे। खिलाफत आन्दोलन 1920 में आरंभ हुआ,इसकी प्रकृति अन्तर्राष्ट्रीय एवं धार्मिक रही।इसकी शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों के द्वारा तुर्की के साथ की गई सेवर्स की सन्धि के फलस्वरूप हुआ। यह सन्धि विवादित,एकपक्षीय एवं दोषपूर्ण सन्धि थी। इस सन्धि के द्वारा तुर्की के सुल्तान की खलीफा की पदवी को खत्म कर दी गई और तुर्की के आटोमन सम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर दिया गया। इसमें पुरी दुनिया के मुसलमानो में नाराजगी थी। भारत में भी इसका असर था। मौलाना आजाद, शौकत अली, मुहम्मद अली आदि ने तर्की के सुल्तान की प्रतिष्ठा के प्रश्न को उठाया। गांधी जी असहयोग आंदोलन के दौरान इस बात को उठाया।1923 में मौलाना अबुल कलाम आजाद सबसे कम उम्र के कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
1940 से 1945 तक वह कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। मौलाना अबुल कलाम आजाद हमेशा हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर रहे। उन्होंने हमेशा पाकिस्तानी की मांग का विरोध किया। आजादी के बाद वह देश के पहले शिक्षा मंत्री बने। भारत में आई.आई.टी कालेज की स्थापना में उनकी बड़ी भूमिका रही।1953 में संगीत नाटक अकादमी एवं साहित्य नाटक अकादमी की स्थापना की।1954 में ललित नाटक अकादमी की स्थापना की।वह एक उत्कृष्ट कोटि के लेखक भी रहे। इण्डिया वीन्स फीरिडम नामक जैसी पुस्तक भी लिखी।22 फरवरी 1958 को मौलाना अबुल कलाम आजाद की मौत हो गई।1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वह भारत के महान चिंतक, विद्वान, एवं देशभक्त थे।वह कहते थे कि मुझे भारतीयता से गर्व है। प्रत्येक धर्म का सम्मान करना चाहिए।वह शिक्षा के माध्यम से ही सांस्कृतिक क्रांति का सूत्रपात किया। मौलाना अबुल कलाम आजाद को उनकी जयंती राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि।
No comments:
Post a Comment
If you have any type of news you can contact us.