संतोष कौशल, सिद्धार्थनगर
बिस्कोहर । एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी धान की पुआल व डंठल जलाने पर कोई रोक नहीं लग पा रही है ।
त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के अधिकत्तर गांवों के किसान धड़ल्ले के साथ फसलों के अवशेष डंठल व पुआल जला रहे हैं।
धान की पुआल व डंठल के अवशेष जलाने से वायुमंडल में कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस फैल जाती हैं, जिनसे ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है और नाइट्रोजन चक्र भी प्रभावित हो जाता है। वहीं फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है, बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समेत सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर पूरी तरह रोक लगाने के साथ ही उल्लंघन करने वालों से जुर्माना वसूलने का आदेश दिया हुआ है ।
जबकि शासन प्रशासन द्वारा जागरूक करने के बाद भी रूढ़िवादी खेती प्रथा के चलते किसान पराली व डंठल जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
शनिवार को क्षेत्र के बिस्कोहर से परसोहन रोड के पूरब सिवान सहित आसपास के गांव के सिवान में धान की कटाई करने के बाद अधिकांश किसान धड़ल्ले के साथ दो दिनो से फसलों के अवशेष फूंक रहे हैं।
पुलिस प्रशासन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
शनिवार को सूचना के बाद मौके पर पहुंचे एसडीएम इटवा विकास कश्यप को देखते ही पराली व डंठल जलाने वाले किसानों में हड़कंप मच गया ।
एसडीएम ने कहा कि पराली जलाने का मामला उनके संज्ञान में आया था ,
मौके पर गये थे । टीम को लगा कर जांच कराई जा रही , दोषियों पर एफआईआर दर्ज करवाया जायेगा ।
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