खेल डेस्क. गुजरात में नेशनल टीम चेस चैम्पियनशिप गुरुवार को खत्म हुई। इसकी पुरुष कैटेगरी में 36 जबकि महिला कैटेगरी में 17 टीमों ने हिस्सा लिया। इस चैंपियनशिप में विश्व स्तरीय तान्या सचदेव, आदिबान भास्करन, किरण मनीषा मोहंते, स्वाति घाटे और दीपेन चक्रवर्ती जैसे स्टार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इनमें से अधिकतर खिलाड़ियों ने 6 से 10 साल की उम्र के बीच खेलना शुरू कर दिया था। इनमें से किसी को माता-पिता और किसी को भाई से खेलने की प्रेरणा मिली। इनमें से कुछ खिलाड़ी ग्रैंड मास्टर हैं तो कुछ इंटरनेशनल मास्टर। कुछ इंटरनेशनल खेलना छोड़ चुके हैं।
स्वाति घाटे ने तीन कॉमनवेल्थ और दो एशियन टाइटल जीते
भाई और पिता से ट्रेनिंग ली। 10 साल की उम्र में खेलना शुरू किया। 1992 में नेशनल चैंपियनशिप जीती। हर साल किसी न किसी नेशनल टूर्नामेंट में मेडल जीते। 3 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, 2 एशियन चैंपियनशिप में टाइटल जीत चुकी हैं। इंटरनेशनल ज्यादा न खेल पाने के कारण एक्सपोजर कम मिला।
तान्या सचदेव ब्रिटिश चैम्पियन बनीं
6 साल की उम्र से खेलना शुरू किया। पिता और भाई चेस की रूल बुक से सिखाते थे। अंडर-8 कैटेगरी में ब्रिटिश चैंपियनशिप जीती। माता-पिता ने कभी पढ़ाई के लिए दबाव नहीं बनाया। इंटरनेशनल मास्टर और ग्रैंड मास्टर हैं।
दीपन चक्रवर्ती को पिता की मौत के बाद मां ने प्रोत्साहित किया
6 साल की उम्र से खेलना शुरू किया। 9 की उम्र में पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद मां ने फैमिली बिजनेस संभाला और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। एक ही साल में स्टेट टूर्नामेंट जीत लिया। वे 20 से ज्यादा टाइटल जीत चुके हैं।
आदिबान भास्करन 15 इंटरनेशनल मेडल जीते
7 की उम्र में माता-पिता से चेस सीखा और 8 की उम्र से खेलने लगे। नेशनल अंडर-14 चैंपियन बने। पहले आर्थिक दिक्कतें आतीं क्योंकि पिता प्रिंटिंग प्रेस में काम करते। अंडर-16 वर्ल्ड चैंपियन बन चुके हैं। 15 इंटरनेशनल मेडल जीते।
किरण मनीषा कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट
9 साल की उम्र से चेस खेलना शुरू किया। स्कूल में कैंप का हिस्सा बनने से दिलचस्पी बढ़ी। कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। इसके बाद ग्रैंड मास्टर टाइटल। आर्थिक कारणों से अब इंटरनेशनल में हिस्सा नहीं लेतीं।
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