संतोष कौशल, सिद्धार्थनगर
बिस्कोहर । भनवापुर क्षेत्र के हरिबंधनपुर गांव के समय माता मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीशतचंडी महायज्ञ के तीसरे दिन शुक्रवार रात कथा करते हुए पूज्य स्वामी आलोक आनंद ने कहा कि भगवान श्री राम व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व हैं । अगर आज का मनुष्य राम के आचरण को अपने जीवन में उतार ले तो वह समाज में अपनी एक अलग छवि बना सकता है ।
केवट प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा वाचक ने कहा कि केवट पढ़ा लिखा नही था पर भक्त था जिस राघव को वेद उपनिषद संत नहीं हंसा सकते उस राघव सरकार को केवट ने अपनी अटपटी वाणी से हंसाया और भगवान से उतराई लेकर दुनिया को यह सीख दिया कि अगर भगवान से निस्वार्थ प्रेम किया जाए तो परमात्मा उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं । जब मनुष्य भगवान से मांगना शुरु करता है वही भक्त और भगवान के प्रति प्रेम कम हो जाता है, "मैं अगर मांगू तुम्हें तो कुछ ना देना तुम मुझे वरना भक्त नहीं मजदूर हो जाऊंगा मैं" इस भाव को प्रकट करते हुए केवट ने भगवान से कुछ भी नहीं मांगा पर जब वही केवट द्वापर में सुदामा बना तो भगवान ने उस केवट को अपने बराबर राज देकर जगत पूज्य बना दिया । अतः भगवान राम के पद चिन्हों पर चलने का सतत प्रयास करते रहना ही मनुष्य की सार्थकता है ।
इस अवसर पर सदानन्द शुक्ला , विनोद , गोपाल पाण्डेय , सुधीर त्रिपाठी , बदाऊ चौधरी , प्रेम नरायन पाण्डेय , विद्यासागर चौधरी , राम शंकर , राहुल पाण्डेय , लाल बिहारी , शुभ करन चौधरी , सुबास पाठक , आनंद शुक्ला , राम अनुज चौधरी , जय प्रकाश पाण्डेय आदि मौजूद रहें ।
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