संतोष कौशल, सिद्धार्थनगर
बिस्कोहर । युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार की इकाई नेहरू युवा केंद्र सिद्धार्थनगर के तरफ से रविवार को विकासखंड भनवापुर के ग्राम पंचायत फूलपुर राजा में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक विद्या प्रकाश मौर्या ने कहा कि स्त्री और पुरुष परमात्मा के दो विशिष्ट सृजन है यह दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं एक के अभाव में दूसरा अधूरा है ।
भारतीय संस्कृति में नारी को पुरुष की तुलना में अधिक सम्मानीय माना गया है लेकिन विडंबना यह है कि नारी आज भी अपने आप के लिए अपने सम्मान के लिए अपने हक के लिए और अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रही है । नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है इसलिए पूरे विश्व में 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है ।
इन्होंने आगे कहा कि किसी भी देश की तरक्की तब हो सकती है जब उस देश की महिलाओं का भी विकास हो हम 21वीं सदी में जी रहे हैं शुरू में विश्व के सभी देशों का समाज पुरुष प्रधान ही था सदियों से पुरुष ने स्त्री का शोषण किया है उसे दूसरा दर्जा दिया गया है उसे सिर्फ भोग विलास घर संभालने वाली और बच्चों को जन्म देने वाली समझा गया है । वर्तमान समय में भी अनेक समस्याएं और चुनौतियां भारतीय महिला के सामने हैं ।
लिंग के आधार पर भेदभाव कन्या भ्रूण हत्या दहेज उत्पीड़न घरेलू हिंसा यौन शोषण जैसे गंभीर मुद्दे आज भी मौजूद हैं ।
हमें सिर्फ आंशिक सफलता ही मिली है क्या हम सब मिलकर इस स्थिति को बदल नहीं सकते क्या हम महिलाओं के विगत और वर्तमान स्थिति को सुनहरे भविष्य की ओर नहीं ले जा सकते बस जरूरत है अपनी सोच में बदलाव लाने की सरकार , समाज , संस्थाएं व कानून सब अपनी ओर से अपना योगदान दे रहे हैं । क्या हम अपनी रूढ़िवादी सोच में परिवर्तन नहीं ला सकते
नारी को अपने त्याग के लिए जो सम्मान मिलना चाहिए वह आज भी अधूरा है । शुरुआत में अपने घर से करनी होगी बेटा बेटी के परवरिश में अंतर मिटाना होगा बेटी को आगे बढ़ने और कुछ करने की आजादी देनी होगी क्योंकि बेटों की तरह बेटियां भी देश का और आपके घर का गौरव है । बेटों को यह शिक्षा दे कि वह सदैव महिलाओं का सम्मान करें आज देश में बेटे बेटियों का अनुपात बहुत ही असंतुलित है इसलिए जरूरी है कि बेटियों को जन्म लेने दें अगर इसी तरह बेटियों का अनुपात घटता रहा तो आपका वंश और सृष्टि का विकास कैसे होगा ।
हमारे देश के संस्कृति की जड़े बहुत मजबूत हैं भारतीय संस्कृति में हम भारत को भी माता कहते हैं जिस कारण यहां की नारी को भी माता का पद दिया गया है नारी इतनी श्रेष्ठ हैं कि ईश्वर के नाम के आगे भी उनका उल्लेख होता है जैसे सीताराम , गौरी शंकर समाज में नारी को त्याग , दया , करुणा व ममता और धैर्य की प्रतिमूर्ति कहा जाता है । इन गुणों के कारण नारी अबला नहीं बल्कि शक्ति का प्रतीक है इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम *Generation Equality Each For Equal* है ।
हम नारी को उसकी कमजोरी के रूप में नहीं बल्कि शक्ति के रूप में देखेंगे हम हर हाल में उन्हें आगे बढ़ाने में योगदान देंगे हम उन्हें सिर्फ रसोई तक ही सीमित नहीं बल्कि बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ मुहिम का हिस्सा बनेंगे
अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता है तो एक आदमी ही शिक्षित होता है लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तब एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं ।
कार्यक्रम के दौरान आशा बहू नीलम देवी , अनुपम गुप्ता , प्रशांत नटवर , प्रभावती देवी , सुनीता , प्रीति गुप्ता , विनीता , पूजा, कुसुम , लक्ष्मी , पूनम , नेहा , लालमति , रेनू , मीना, प्रीती भारती , संगीता सहित तमाम ग्रामीण महिलाएं उपस्थित रही ।
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