संतोष कौशल
बिस्कोहर । भरौली कैथोलिया में चल रही प्रज्ञा पुराण कथा के दूसरे दिन रात की कथा में कथा वाचक सरजू प्रसाद वानप्रस्थी ने कहा कि सतयुगीन परिस्थितियों के निर्माण के लिए समाज को यज्ञ और संस्कारों से जोड़ना होगा।
कथा व्यास ने कहा कि गायत्री मंत्र की साधना के जरिए बुद्धि का परिष्कार करें। उन्होंने कहा कि यज्ञ का तत्व दर्शन अपनाकर यज्ञीय सिद्धांतों से अपने जीवन को परिष्कृत करें। युग ऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य ने संस्कारों को महत्व दिया। बताया कि संस्कार विहीन मानव समाज को जोड़ने का काम नहीं कर सकता। हमारी भारतीय संस्कृति जिन सोलह संस्कारों को मान्यता देती है। उनका पालन कर एक स्वस्थ मानसिकता का व्यक्ति बनता है। उसे अपने देश और समाज की चिंता होती है। संस्कारों की व्याख्या करते हुए कथा व्यास ने कहा कि गर्भधारण के साथ ही बच्चे के संस्कार शुरू हो जाते हैं। जब तक देश में संस्कारों का प्रचलन था तब तक देवी देवताओं का समय था। संस्कारों की कमी के कारण ही संबंधों की पहचान खत्म हो गई। पहचान खत्म होते ही समाज में पापाचार और अनाचार बढ़ गया और लोगों में निराशा बढ़ती ही गई।
इसके पूर्व सुबह सात बजे से दस बजे तक पंच कुंडीय यज्ञ संपन्न कराया गया। लोगों को संस्कार कार्यक्रम किया गया। इस मौके पर यज्ञ व्यवस्थापक रवि कुमार
, पंडित विशम्भर तिवारी , वंदना , शेष राम गुप्ता , रज्जू श्रीवास्तव , धनपत यादव , कल्लू प्रसाद प्रजापति , गन्ना राम गुप्ता आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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