चीन से आयातित रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद एक अच्छी खबर आई है। अब देश में भी ये किट बनने लगी हैं। गुरुग्राम के मानेसर में सरकारी कंपनी एचएलएल हेल्थकेयर और दक्षिण कोरियाई कंपनी एसडी बायोसेंसर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट बनाने में जुटी हुई हैं। दोनों कंपनियां अब तक कुल तीन लाख रैपिड टेस्ट किट तैयार हो चुकी हैं। अगले आठ दिनों में 10 से 12 लाख किट और तैयार हो जाएंगी। वहीं, लोनावला स्थित डायग्नोस्टिक फर्म माइलैब्स पीसीआर किट तैयार कर रही है।
एसडी बायोसेंसर बुधवार तक दो लाख रैपिड एंटीबॉडी जांच किट बना चुकी है। कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़े अंशुल सारस्वत ने बताया कि एक दिन में लाख किट बनाने की क्षमता है। ज़रूरत पड़ने पर इसे तीन लाख तक बढ़ाया जा सकता है। कंपनी ने हाल में 25 हजार किट हरियाणा सरकार को मुहैया कराई हैं, बाकी किट भी विभिन्न राज्यों में जल्द भेजी जाएंगी।
चीन की किट से सस्ती
बायोसेंसर में बन रही जांच किट चीन की किट के मुकाबले 400 रुपए सस्ती है। अंशुल के मुताबिक, उनकी कंपनी की एक किट की कीमत करीब 380 रुपए है। हरियाणा सरकार ने चीनी किट का ऑर्डर रद्द कर अब बायोसेंसर से ही किट लेने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि कंपनी का एक महीने में लगभग एक करोड़ रैपिड टेस्ट किट तैयार करने का लक्ष्य है। लेकिन अगले आठ दिनों में लगभग 10 से 12 लाख टेस्ट किट तैयार हो जाएंगे।
बायोसेंसर में बन रही जांच किट चीन की किट के मुकाबले 400 रुपए सस्ती है। अंशुल के मुताबिक, उनकी कंपनी की एक किट की कीमत करीब 380 रुपए है। हरियाणा सरकार ने चीनी किट का ऑर्डर रद्द कर अब बायोसेंसर से ही किट लेने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि कंपनी का एक महीने में लगभग एक करोड़ रैपिड टेस्ट किट तैयार करने का लक्ष्य है। लेकिन अगले आठ दिनों में लगभग 10 से 12 लाख टेस्ट किट तैयार हो जाएंगे।
एचएलएल ने एक लाख किट बनाईं
मानेसर में ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल हेल्थ केयर अब तक करीब एक लाख किट बना चुकी है। कंपनी ने इसे मेक श्योर नाम दिया है। कंपनी के एक अधिकारी बताया कि अभी इन किट का जांच में इस्तेमाल नहीं हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की अनुमति के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देना संभव है।
मानेसर में ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल हेल्थ केयर अब तक करीब एक लाख किट बना चुकी है। कंपनी ने इसे मेक श्योर नाम दिया है। कंपनी के एक अधिकारी बताया कि अभी इन किट का जांच में इस्तेमाल नहीं हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की अनुमति के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देना संभव है।
लोनावला की कंपनी बना रही आरटी-पीसीआर किट
लोनावला स्थित डायग्नोस्टिक फर्म माइलैब्स सबसे विश्वसनीय आरटी-पीसीआर किट बना रही है। कंपनी के स्पेशल प्रोजेक्ट से जुड़े सौरभ गुप्ता ने बताया कि एक किट से करीब 100 टेस्ट किए जा सकते हैं और प्रति टेस्ट के लिए 1200 रुपए का खर्च आता है। वहीं, विदेशी किट की लागत 4,500 रुपए के आसपास बैठती है। उन्होंने बताया कि अभी कंपनी प्रति सप्ताह 1.25 लाख से 1.50 लाख किट का उत्पादन कर रही है।
लोनावला स्थित डायग्नोस्टिक फर्म माइलैब्स सबसे विश्वसनीय आरटी-पीसीआर किट बना रही है। कंपनी के स्पेशल प्रोजेक्ट से जुड़े सौरभ गुप्ता ने बताया कि एक किट से करीब 100 टेस्ट किए जा सकते हैं और प्रति टेस्ट के लिए 1200 रुपए का खर्च आता है। वहीं, विदेशी किट की लागत 4,500 रुपए के आसपास बैठती है। उन्होंने बताया कि अभी कंपनी प्रति सप्ताह 1.25 लाख से 1.50 लाख किट का उत्पादन कर रही है।
हालांकि, इस क्षमता को बढ़ाकर 2.50 लाख से चार लाख तक किया जा सकता है। आईसीएमआर से 23 मार्च को उत्पादन की अनुमति मिली थी। इसके बाद से कंपनी अब तक दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल और तेलंगाना सरकार को किट की आपूर्ति कर चुकी है। माईलैब्स में अनुसंधान और विकास प्रमुख मीनल दखावे भोसले ने देश की इस पहली कोविड-19 टेस्ट किट को विकसित किया था। यह किट ढाई घंटे में परिणाम देती है, जबकि आयातित टेस्ट किट से कोविड-19 का पता लगाने में छह-सात घंटे लगते हैं।
बीएचयू ने खोजी जांच की स्ट्रीप तकनीक
बीएचयू ने जांच की स्ट्रीप तकनीक का इजाद किया है। यह आरटी-पीसीआर किट की तकनीक है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे जांच रिपोर्ट छह घंटे के भीतर मिल जाएगी। विज्ञान संस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ मॉलीकुलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स की प्रो. गीता रायन ने इसे अपने लैब में शोध छात्राओं की मदद से तैयार किया है।
बीएचयू ने जांच की स्ट्रीप तकनीक का इजाद किया है। यह आरटी-पीसीआर किट की तकनीक है। शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे जांच रिपोर्ट छह घंटे के भीतर मिल जाएगी। विज्ञान संस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ मॉलीकुलर एंड ह्यूमन जेनेटिक्स की प्रो. गीता रायन ने इसे अपने लैब में शोध छात्राओं की मदद से तैयार किया है।
यह तकनीक एक ऐसे अनोखे प्रोटीन सिक्वेंस को लक्ष्य करती है जो सिर्फ कोविड-19 में मौजूद हैं। इसमें गलत रिपोर्ट आने की संभावना न के बराबर है। संस्थान ने आईसीएमआर से यह रिपोर्ट साझा की है हालांकि, अभी तक जवाब नहीं मिला है। वहीं, एक कंपनी ने इसका उत्पादन करने में दिलचस्पी दिखाई है और आईसीएमआर के जवाब का इंतजार है।
अगले महीने से 20 लाख किट बनाएगा भारत
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते दिनों बताया था कि भारत मई से करीब 20 लाख टेस्टिंग किट हर महीने बनाने में सक्षम होगा। इनमें से 10 लाख रैपिड एंटीबॉडी जबकि 10 लाख आरटी-पीसीआर किट होंगी। देश में फिलहाल हर महीने छह हजार वेंटीलेटर बनाने की क्षमता है, इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते दिनों बताया था कि भारत मई से करीब 20 लाख टेस्टिंग किट हर महीने बनाने में सक्षम होगा। इनमें से 10 लाख रैपिड एंटीबॉडी जबकि 10 लाख आरटी-पीसीआर किट होंगी। देश में फिलहाल हर महीने छह हजार वेंटीलेटर बनाने की क्षमता है, इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
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