कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच कच्चे तेल की कीमत में इतिहास की सबसे बड़े गिरावट दर्ज की गई. अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत बोतलबंद पानी से भी कम हो गई है.
कच्चे तेल की कीमत शून्य डॉलर के नीचे चली गई. वायदा बाजार में कच्चे तेल की कीमत -37.56 डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई. महज तीन महीने में तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
*गिरावट क्यों?*
●दरअसल कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में यात्रा पर पाबंदी है जिससे कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है. सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वॉर से भी मांग में कमी आई है.
●दरअसल कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में यात्रा पर पाबंदी है जिससे कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है. सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वॉर से भी मांग में कमी आई है.
●दुनियाभर में तेल का उत्पादन बढ़ रहा है लेकिन मांग में कमी की वजह से दाम गिरे हैं.
●दुनियाभर में औद्योगिक गतिविधियां बंद हो चुकी है जिसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ रहा है.
*भारत पर तेल सस्ता होने का असर!*
●कच्चे तेल की भंडारण क्षमता बढ़ाकर भविष्य में लोगों को लाभ दिया जा सकता है.
●कच्चे तेल की भंडारण क्षमता बढ़ाकर भविष्य में लोगों को लाभ दिया जा सकता है.
●भारत अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है. जिसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा डॉलर में कीमत चुकानी पड़ती है.
●कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार को ज्यादा कीमत नहीं चुकानी पड़ेंगी.
●पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट हो सकती है. मंहगाई दर में कमी हो सकती है. चालू खाता घाटा कम होगा.
●कच्चे तेल सस्ता होने से भारत की विकास दर बढ़ने का भी अनुमान है.
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