सिद्धार्थनगर। लॉकडाउन ने शराब के शौकीनों की बेचैनी बढ़ा दी है। शराबबंदी से जहां कुछ परिवार सुकून महसूस कर रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी परिवार हैं जो नशेबाज परिजनों की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। नशा नहीं मिलने पर कोई उल्टी सीधी हरकत कर रहा है तो कोई अनाप-शनाप शब्दों की बौछार से परिवार वालों को दुखी कर रहा है। घर के मुखिया शराब नहीं मिलने की बेचैनी में पत्नी बच्चों से उलझ रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान पुलिस थानों पर इस तरह की शिकायतें आम दिनों के मुकाबले ज्यादा पहुंच रही हैं। हालांकि अधिकतर मामलों में पुलिस समझाबुझा कर शांत करा दे रही है। बावजूद इसके कुछ परिवार न तो पुलिस तक आवाज उठा पा रहे हैं और न ही समझा पा रहे हैं। ऐसे में वे परेशान हैं कि कब लॉकडाउन खुले और विवाद से मुक्ति मिले। एसपी विजय ढुल ने बताया कि जो भी शिकायत पुलिस तक पहुंच रही हैं। उसका निस्तारण थाना स्तर से कराया जा रहा है।
केस एक
पुलिस से भी उलझा तो केस दर्ज
सदर थानाक्षेत्र के पुरानी नौगढ़ पुलिस चौकी पर एक मामला सामने आया था। इसमें युवक शराब के लिए परिवार के लोगों को खूब परेशान किया और मारपीट भी की। मामला पुलिस तक पहुंचा तो उसे समझाया गया। शराब के लिए एक दिन पुलिसकर्मी से ही उलझ गया और शराब की मांग करने लगा। इसके बाद मजबूर होकर पुलिस को उसे चालान करना पड़ा।
केस दो
महिला ने लगाई गुहार
त्रिलोकपुर थानाक्षेत्र के एक गांव की महिला ने पुलिस को सूचना दिया कि पति आए दिन शराब का सेवन करता था। लॉकडाउन के बाद शराब की दुकानें बंद हो गई हैं। वह घर पर ही रह रहे हैं। कभी बच्चों से तो कभी मुझसे विवाद कर रहे हैं। चिड़चिड़े हो चुके हैं। मामला एसओ रणधीर कुमार मिश्र के संज्ञान में आया तो उन्होंने पुलिस को उसके घर भेजकर समझा और दोबारा विवाद करने पर जेल भेज देने की चेतावनी दी। इसके बाद विवाद करना बंद किया।
शराबबंदी से पड़ा सकारात्मक असर
बस्ती महिला डिग्री कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर राघवेंद्र पांडेय ने बताया कि शराब बंद होने से इसका समाज पर सकारात्मक असर पड़ा है। कुछ लोग जो काफी दिनों से पी रहे थे, वे पीना छोड़ देंगे। वहीं कुछ लोग शराब बंदी के बाद तनाव में आ गए हैं। ऐसे में वह परिवार के साथ सही तरीके से नहीं रह रहे हैं। ऐसे में उन्हें समझाया जाए, जिंदगी का हवाला दिया जाए। उनके करीब रहा जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी।
दिक्कत हो तो चिकित्सक के पास जाएं
बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तपस कुमार ने कहा कि जो नियमित रूप से शराब का सेवन करता है। ऐसे में एकाएक शराब छोड़ देने से चिड़चिड़ापन, नींद न आना, भूख नहीं लगना, हाथ-पैर में कंपन और बात-बात पर परिवार से उलझने से जैसी शिकायतें हो सकती है। यह केवल 20 प्रतिशत लोगों में हो सकती है। कारण अगर नियमित शराब का सेवन करने वाला पांच दिन तक नहीं पीता है और कोई दिक्कत नहीं है तो वह छोड़ सकता है। वहीं 20 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो सेवन नहीं करने के बाद कई प्रकार की दिक्कतों से गुजर रहे हैं। ऐसे में अगर कोई लक्षण मिले तो संबंधित व्यक्ति को चिकित्सक के पास ले जाएं। यह एक प्रकार की बीमारी है और इसका इलाज होता है।
रोजाना 25500 लीटर शराब की है खपत
22 मार्च के पहले जिले में शराब के खपत के आंकड़ों पर नजर डालें तो औसतन प्रतिदिन 25500 लीटर शराब का शराब लोग पी जाते थे। इसमें 20250 लीटर देसी शराब, दो लाख शीशी बीयर केन लगभग 3500 लीटर और 1750 लीटर अंग्रेजी शराब की बिक्री जिले में होती है।
एक करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार
एक दिन में एक करोड़ रुपये से अधिक का जिले में शराब का कारोबार होता है। इसमें प्रतिदिन लगभग 66 लाख रुपये सरकारी खजाने में राजस्व के रूप में जाता है।
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