कोरोना के खिलाफ भारत की बड़ी लड़ाई भी अब राजनीति में फंसती नजर आ रही है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में केंद्र और कुछ राज्यों में कई मसलों पर तकरार देखने को मिल रही है। 20 अप्रैल से देशभर में लॉकडाउन में कुछ ढील दी गई है, मगर कई तरह की रियायतें ऐसी हैं जिन पर केंद्र और गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारों में सहमति नहीं बन पाई है। यही वजह है कि केरल, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के साथ केंद्र सरकार की तरकरार देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल में जहां हर बार की तरह कोरोना के मुद्दे पर भी मोदी और ममता सरकार आमने सामने है, वहीं पंजाब सरकार और केंद्र के बीच भी पैकेज को लेकर कड़वाहट देखने को मिल रही है। केरल में जहां केंद्र के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज कर लॉकडाउन में छूट दी गई, हालांकि केंद्र सरकार की नाराजगी के बाद राज्य सरकार ने अपना आदेश वापस ले लिया है। वहीं, राजस्थान सरकार ने कोरोना के रैपिड टेस्ट किट का इस्तेमाल बंद कर दिया।
ममता बनाम मोदी सरकार
लॉकडाउन और केंद्र के दिशा-निर्देशों के आलोक में केंद्र सरकार ने अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) बनाई है, जो राज्यों में जा कर स्थिति का आकलन करती है और जरूरी निर्देश देती है। ममता सरकार से तकरार की वजह भी यही टीम है। केंद्र का आरोप है कि पश्चिम बंगाल भेजी गई अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) को राज्य प्रशासन ने पर्याप्त सहयोग नहीं दिया है। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस टीम के भेजने पर ही सवाल खड़े किए हैं। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस तरह की टीम भेजे जाने को गैर जरूरी करार दिया। राज्य सरकार के रवैये के बाद केंद्रीय गृह सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा। पश्चिम बंगाल के लिए आईएमसीटी की टीम एक दिन पहले ही कोलकाता पहुंच गई थी, लेकिन उसे राज्य प्रशासन ने सहयोग नहीं किया, जिससे वह अपने क्षेत्रों में का दौरा नहीं कर सकी। इसको लेकर टीम के मुखिया और राज्य के मुख्य सचिव के साथ ही दो दौर की बैठकें हुई, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल सका। बता दें कि पश्चिम बंगाल के पांच -छह जिले हॉट स्पॉट बने हुए है। ऐसे में केंद्र को आईएमसीटी की टीम यहां पर भी भेजने को मजबूर होना पड़ा है। यह टीम केंद्र को राय्यों की स्थिति से अवगत कराती है।
केरल सरकार और केंद्र में भिड़ंत
केरल में बीते कुछ दिनों से कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद राज्य सरकार ने लॉकडाउन में कुछ अतिरिक्त छूट देने का ऐलान किया। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि ये उसके दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। दरअसल, केरल सरकार ने स्थानीय कार्यशालाओं को खोलने, नाई की दुकानें, रेस्तरां, बुक स्टोर और छोटे उद्योग आदि में ढील दी, हालांकि, केंद्र के दिशानिर्देशों में 3 मई तक इन पर मनाही है। केरल सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय गृह सचिव ने अजय भल्ला ने कड़ी आपत्ति जताई। केंद्र ने कहा कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों से बाहर जाकर कोई भी राज्य अलग से रियायतें नहीं दे सकती। हालांकि, केंद्र की आपत्ति के बाद केरल ने बाद में छूट समाप्त कर दी।
पंजाब के पैकेज पर टकराव
वहीं, कोरोना लॉकडाउन के बीच पंजाब के लिए विशेष पैकेज को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला। हरसिमरत कौर बादल का कहना है कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए पंजाब को धनराशि और खाद्यान्न देकर मदद की। मगर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इससे इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह केंद्र से लंबित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के 4,400 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज जारी करने की मांग कर रहे थे। विशेष पैकेज में अस्पताल के उन्नयन के लिए 729 करोड़ रुपये और उन्नत विषाणु विज्ञान संस्थान स्थापित करने के लिए 550 करोड़ रुपये शामिल हैं। इस पर दोनों के बीच ट्विटर पर जंग भी देखने को मिली।
रैपिड टेस्टिंग किट पर राजस्थान केंद्र से अलग
कोरोना वायरस रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर राजस्थान सरकार का रुख केंद्र से अलग है। किट्स की एक्यूरेसी का हवाला देकर राजस्थान ने कोरोना संक्रमण की जांच के लिए रैपिड टेस्टिंग किट का उपयोग करना बंद कर दिया है। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि त्रुटिपूर्ण नतीजे आने के बाद राज्य सरकार ने करोना के परीक्षण के लिए रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है और इसकी सूचना भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को दे दी गई है। इसके बाद ही आईसीएमआर ने दो दिनों तक सभी राज्यों से इस किट का इस्तेमाल न करने की सलाह दी।
बंद्रा स्टेशन मामले पर महाराष्ट्र में तकरार
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में केंद्र सरकार से तकरार की स्थिति उस वक्त आई, जब घर वापस जाने के लिए मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों की भीड़ उमड़ गई। इस मसले पर बीजेपी और उद्धव सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी देखने को मिला था। उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया था। वहीं, आदित्य ठाकरे ने कहा था कि बांद्रा स्टेशन मामला और सूरत में मजूदरों का उपद्रव केंद्र सरकार की विफलता की वजह से है। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजूदरों को वापस घर भेजने की व्यवस्था पर केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं कर पा रही है, उन्हें भोजन या रहने का ठिकाना नहीं चाहिए बल्कि वे घर वापस जाना चाहते हैं।
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