लॉकडाउन में रोडवेज की बसों के पहिये थमने से परिवहन निगम को भारी झटका लगा है। गोरखपुर रीजन में प्रतिदिन करीब 800 बसों का संचालन होता है। ऐसे में प्रतिदिन 80 लाख से एक करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले 30 दिनों में गोरखपुर रीजन को करीब 25 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
लॉक डाउन को 30 दिन पूरे हो गए हैं। जनता कर्फ्यू में भी रोडवेज की बसों का संचालन ठप था। ऐसे मे गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, देवरिया, निचलौल, सोनौली, बस्ती आदि डिपो की बसों का संचालन ठप है। बीच में नोएडा से आने वाले मजदूरों को छोड़ने के लिए बसें रवाना तो हुईं लेकिन उनकी आय कुछ नहीं हुई। आरएम डीबी सिंह का कहना है कि रीजन में संचालित होने वाली 800 बसें खड़ी हैं। ऐसे में पिछले एक महीने में करीब 25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
आबकारी विभाग को 75 करोड़ रुपये का नुकसान
आबकारी विभाग को लॉक डाउन में सर्वाधिक झटका लगा है। विभाग को प्रतिदिन करीब 2.50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले तीस दिनों में करीब 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। विभाग के लोगों का कहना है कि लॉक डाउन जितना आगे बढ़ेगा प्रति दिन 2.50 करोड़ रुपये की दर से नुकसान होगा।
आबकारी विभाग को लॉक डाउन में सर्वाधिक झटका लगा है। विभाग को प्रतिदिन करीब 2.50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले तीस दिनों में करीब 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। विभाग के लोगों का कहना है कि लॉक डाउन जितना आगे बढ़ेगा प्रति दिन 2.50 करोड़ रुपये की दर से नुकसान होगा।
आरटीओ को भी नुकसान
आरटीओ विभाग में वैसे तो सारे शुल्क ऑनलाइन जमा होते हैं। आरटीओ में रोज करीब दो लाख रुपये काउंटर से जमा होते हैं। ऐसे में आरटीओ को पिछले 30 दिनों में 60 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।
आरटीओ विभाग में वैसे तो सारे शुल्क ऑनलाइन जमा होते हैं। आरटीओ में रोज करीब दो लाख रुपये काउंटर से जमा होते हैं। ऐसे में आरटीओ को पिछले 30 दिनों में 60 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।
नगर निगम में वसूली लक्ष्य अटका
हाउस और वाटर टैक्स को लेकर नगर निगम ने अभियान चला रखा था। मार्च के पहले पखवाड़े में निगम को अच्छी आय हुई थी। 31 मार्च तक निगम ने करीब 6 करोड़ रुपये के बकाये वसूली का लक्ष्य रखा था। 31 मार्च तक करीब 6.68 करोड़ रुपये का वसूली लक्ष्य था पर वसूली करीब 5 करोड़ की ही हो सकी। इसी तरह लाइसेंस, होर्डिंग और नामांतरण आदि से निगम को 70 लाख के नुकसान का अनुमान है।
हाउस और वाटर टैक्स को लेकर नगर निगम ने अभियान चला रखा था। मार्च के पहले पखवाड़े में निगम को अच्छी आय हुई थी। 31 मार्च तक निगम ने करीब 6 करोड़ रुपये के बकाये वसूली का लक्ष्य रखा था। 31 मार्च तक करीब 6.68 करोड़ रुपये का वसूली लक्ष्य था पर वसूली करीब 5 करोड़ की ही हो सकी। इसी तरह लाइसेंस, होर्डिंग और नामांतरण आदि से निगम को 70 लाख के नुकसान का अनुमान है।
जीडीए को भी झटका
लॉक डाउन के तीस दिनों में जीडीए को भी दो करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। जीडीए को मानचित्र के साथ ही शमन शुल्क आदि से अच्छी आय होती है। लॉक डाउन में मानचित्र स्वीकृति लगभग सिफर है।
लॉक डाउन के तीस दिनों में जीडीए को भी दो करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। जीडीए को मानचित्र के साथ ही शमन शुल्क आदि से अच्छी आय होती है। लॉक डाउन में मानचित्र स्वीकृति लगभग सिफर है।
No comments:
Post a Comment
If you have any type of news you can contact us.