यूपी में कोरोना वायरस से सबसे अधिक मौत आगरा जिले में हुई है। यहां अब तक कोविड-19 से आठ लोगों की जान जा चुकी है जबकि यहां संक्रमित लोगों की संख्या 348 है। मरीजों की संख्या और मौत के आंकड़ों के मामले में आगरा यूपी में सबसे ऊपर है। ये वही आगरा है जहां कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का जो मॉडल अपनाया गया था उसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी। कुछ दिनों बाद ही यह मॉडल फेल हो गया और यहां मरीजों की संख्या नियंत्रित नहीं हो पा रही है। दिन पर दिन मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।
साढ़े तीन सौ पेज की रिपोर्ट ने खोल दी आगरा की व्यवस्थाओं की पोल
कोरोना संक्रमितों के लगातार बढ़ रहे मामलों और आठ मौतों को लेकर केजीएमयू की टीम की जांच के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। अब कॉलेज की राजनीति गरमा गई है। स्वास्थ्यकर्मियों के लगातार हो रहे संक्रमितों का जवाब किसी के पास नहीं है। दबे स्वर से लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
कोरोना संक्रमितों के लगातार बढ़ रहे मामलों और आठ मौतों को लेकर केजीएमयू की टीम की जांच के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। अब कॉलेज की राजनीति गरमा गई है। स्वास्थ्यकर्मियों के लगातार हो रहे संक्रमितों का जवाब किसी के पास नहीं है। दबे स्वर से लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
शासन को लगातार सूचना मिल रही थीं कि आगरा में संक्रमण रुक नहीं रहा है। बात तब ज्या दा गंभीर हो गई, जब स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित निकलने लगे। चार डॉक्टर और अन्य स्टाफ के सात लोग संक्रमित मिले तो स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई। तत्काल केजीएमयू से टीम भेजकर हकीकत जानी गई। इससे पूर्व प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने भी बढ़ती संक्रमित संख्या और मेडिकल कालेज के प्राचार्य तथा मेडिकल कालेज के स्टाफ के बीच सामंजस्य न होने पर सवाल उठाए गए थे।
इधर, जब टीम ने साढ़े तीन सौ पेज की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी तो व्यवस्थाओं की पोल सामने आ गई। कॉलेज के प्राचार्य उन दिनों आंख का ऑपरेशन कराने अवकाश पर चले गए थे। उसके बाद दो अन्य लोगों को प्राचार्य का चार्ज दिया गया, उन्होंने बहाने कर चार्ज लेने से मना कर दिया था। इसको स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया। एक की जांच चल रही है। इसको अनुशासनहीनता माना गया। जांच रिपोर्ट में नमूने लेने वाले स्टाफ को ही अप्रशिक्षित पाया गया। इससे ज्यादा बड़ा मजाक क्या हो सकता है।
शुरू से ही होती रही है राजनीति
एसएनएमसी के प्राचार्य पद को लेकर हमेशा राजनीति होती रही है। जब भी किसी ने चार्ज संभाला, उसके दूसरे दिन से उसकी शिकायतों का अंबार लगना शुरू हो जाता है। स्टाफ भी सहयोग नहीं करता है। ये समय संकट भरा है। ऐसे में भी लोग एक दूसरे का सहयोग न कर टीका टिप्पणी करने से नहीं चूक रहे हैं।
एसएनएमसी के प्राचार्य पद को लेकर हमेशा राजनीति होती रही है। जब भी किसी ने चार्ज संभाला, उसके दूसरे दिन से उसकी शिकायतों का अंबार लगना शुरू हो जाता है। स्टाफ भी सहयोग नहीं करता है। ये समय संकट भरा है। ऐसे में भी लोग एक दूसरे का सहयोग न कर टीका टिप्पणी करने से नहीं चूक रहे हैं।
जिला अस्पताल का भी है यही है हाल
जिला अस्पताल के हालात भी एसएनएमसी की ही तरह हैं। यहां का काफी स्टाफ क्वारंटाइन में है। जो लोग आते भी हैं, वह लिखापढ़ी का काम कर समय काटते हैं। जब कोई उच्चाधिकारी आता है तो पीपीई किट पहनकर ड्यूटी पर मुस्तैद होने का दिखावा करने लगते हैं।
खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं
एसएनएमसी की अव्यवस्थाओं पर कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। सभी लोग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जैसे संसाधन हैं, उसी के अनुरूप सहयोग कर रहे हैं। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह कहते हैं स्वास्थ्यकर्मियों का संक्रमित मिलना बड़ी चुनौती है। धीरे-धीरे उनके संपर्क के लोगों को तलाश कर नियंत्रित कर रहे हैं। एसएनएमसी की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार निगरानी की जा रही है।
एसएनएमसी की अव्यवस्थाओं पर कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। सभी लोग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जैसे संसाधन हैं, उसी के अनुरूप सहयोग कर रहे हैं। जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह कहते हैं स्वास्थ्यकर्मियों का संक्रमित मिलना बड़ी चुनौती है। धीरे-धीरे उनके संपर्क के लोगों को तलाश कर नियंत्रित कर रहे हैं। एसएनएमसी की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार निगरानी की जा रही है।
क्या था आगरा मॉडल :
केंद्र सरकार की तरफ से होने वाले प्रेस कांफ्रेस में 'आगरा मॉडल' की तारीफ की गई, जिसके बाद बाकी राज्यों में भी इसे अमल में लाने का सुझाव दिया गया। जिन क्लस्टर में कोरोना संक्रमण ज्यादा पाए गए हैं उनके लिए केंद्र सरकार ने एक कंटेनमेंट प्लान बनाया था। आगरा ने उसी प्लान को अपनाया।
इस प्लान के तहत पूरे क्लस्टर को तीन हिस्सों में बांटा गया। आगरा में भी वही किया गया।
1. बफर जोन - इसके प्लान के तहत 5 किलोमीटर को बफर जोन मान कर वहां कोराना संक्रमण से निपटने की तैयारी की गई।
2. कंटेनमेंट जोन - बफ़र जोन के भीतर के 3 किलोमीटर के दायरे को एपिसेंटर या फिर कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया।
3. हॉटस्पॉट - अंत में कंटेनमेंट जोन के अंदर आने वाले इलाके को हॉटस्पॉट मान कर सील कर दिया गया
प्रदेश में कोरोना के नए 138 मरीज सामने आए :
कोरोना वायरस की वजह से प्रदेश में 28 मौतें हो चुकी हैं। इनमें सबसे ज्यादा आठ मौतें आगरा में हुई हैं। मुरादाबाद में पांच,मेरठ में चार और कानपुर में तीन मौतें हुई हैं। लखनऊ, वाराणसी, बस्ती, बुलंदशहर, फिरोजाबाद और अलीगढ़ में एक-एक मरीज की कोविड-19 वायरस के संक्रमण से जान गई है। बीते 24 घंटों में आगरा में 10, नोएडा में नौ, कानपुर में 37, लखनऊ में 19, मुरादाबाद में सात, वाराणसी में सात, शामली में एक, मेरठ में एक, बुलंदशहर में पांच, बस्ती में तीन, आजमगढ़ में एक, फिरोजाबाद में नौ, सहारनपुर में 25, मथुरा में एक, कन्नौज में एक,मैनपुरी में एक और अयोध्या में एक मरीज कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं। सबसे ज्यादा मरीज आगरा में, लखनऊ में 193 मरीज अब तक 1621 मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें आगरा में 346, लखनऊ में 193, गाजियाबाद में 52, नोएडा में 112, लखीमपुर-खीरी में चार, कानपुर नगर में 141, पीलीभीत में दो, मुरादाबाद में 104, वाराणसी में 26, शामली में 27, जौनपुर में पांच, बागपत में 15, मेरठ में 86, बरेली में छह, बुलंदशहर में 27 , बस्ती में 23, हापुड़ में 18, गाजीपुर में छह,आजमगढ़ में आठ, फिरोजाबाद में 75, हरदोई में दो, प्रतापगढ़ में छह, सहारनपुर में 123, शाहजहांपुर में एक, बांदा में तीन, महाराजगंज में छह, हाथरस में चार, मिर्जापुर में तीन मरीज पाए गए हैं।
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