एक ओर लोग जहां धर्म-जाति के नाम पर छोटी-छोटी बात पर जान के दुश्मन बन जाते हैं, खून-खराबे पर उतर आते हैं, वहीं भगतपुर के एक युवक ने मिसाल पेश की है। इस हिन्दू युवक ने मौत से लड़ रही मुस्लिम महिला को खून देकर न केवल इंसानियत बल्कि शहर की गंगा-जमुनी तहजीब का भी परिचय दिया है। युवक के रक्तदान के बाद महिला की हालत स्थिर बताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार भगतपुर थाना क्षेत्र के कस्बा चांदपुर निवासी मोहम्मद अहमद की पत्नी राबिया के पेट में रसौली थी। इसके कारण उसकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। उसे गुरुवार को परिजनों ने मुरादाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने उसकी स्थिति गंभीर बताते हुए तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी। साथ ही परिजनों से पांच यूनिट खून की व्यवस्था करने को भी कहा। मोहम्मद अहमद ने बताया कि राबिया को ए पॉजिटिव खून की जरूरत थी। खून के लिए उसने ब्लड बैंकों के चक्कर काटे, लेकिन लॉक डाउन के कारण ब्लड बैंकों से खून नहीं मिल सका। इसपर उसने सोशल मीडिया पर लोगों से मदद मांगी।
सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल होने के बाद कस्बा चांदपुर से रिजवान बफाती हुसैन, बब्बू अंसारी, मोहम्मद हनीफ, इमरान अंसारी आदि मुरादाबाद पहुंचे लेकिन रोजे पर होने के कारण उनका ब्लड नहीं लिया जा सका। यह बात गांव तक पहुंची तो गांव के रोहित सक्सेना ने महिला को खून देने का फैसला लिया। उसने मुरादाबाद पहुंचकर महिला को खून दिया। जिसके बाद उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। मुस्लिम युवकों ने भी शनिवार को रोजा न रखकर रक्तदान करने का फैसला किया है।
रोहित के इस कदम की हर ओर प्रशंसा हो रही है। रोहित का कहना है कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और इसी के चलते उसने महिला को खून दिया है। रोहित ने बताया कि उसने पहले भी बिना धर्म देखे रक्तदान किया है।
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