संतोष कौशल, बलरामपुर
जैतापुर गैसडी । ज्येष्ठ महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को अमर सुहाग की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने वटवृक्ष की पूजा अर्चना की ।
शुक्रवार सुबह सभी सुहागिन महिलाओं ने स्नान ध्यान के बाद नए वस्त्र धारण कर हाथों में पूजा की थाली लिए टोली की शक्ल में गांव के पास स्थित वट वृक्ष के नीचे पहुंची। जहां जल, रोली, चावल, सिंदूर, हल्दी, गुड़, भींगा चना, मटर, फल व प्रसाद से विधि-विधान पूर्वक सावित्री तथा सत्यावान की पूजा अर्चना की ।
इस दौरान सभी महिलाओं ने सावित्री एवं सत्यवान की कथा भी सुनी ।
कथा समाप्ति के बाद महिलाएं वट वृक्ष के तना में 108 बार कच्चा सुत लपेटकर अमर सुहाग की कामना की ।
पर्व की महता पर प्रकाश डालते हुए पंडित वीरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि वट सावित्री पूजा सुहागिनों के अखंड सौभाग्य प्राप्त करने का प्रमाणिक और प्राचीन व्रत है। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि व्रत करने से अल्पायु पति भी दीघार्यु हो जाता है। उन्होंने बताया कि जब सत्यवान की आत्मा को यमराज लेने पहुंचे थे, तब उनकी पत्नी सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। यमराज के काफी समझाने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटी, तब विवश होकर यमराज ने सत्यवान के आत्मा का प्रवेश उसके मृत शरीर में करवा दिया।
उसी समय सावित्री ने वट की पूजा की थी।
शुक्रवार को गैसडी विकास खंड क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर वट सावित्री की पूजा अर्चना की जा रही थी। जैतापुर , पिपरा व महुआ आदि गांव के समीप लगे वट वॄक्ष पर गांव की सुहागिन वट सावित्री की पूजा अर्चना कर रही थी । हालांकि इस दौरान महिलाएं शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखते हुए देखी गई ।
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