गलवान घाटी की घटना के बाद वोकल फॉर लोकल के तहत भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले कुछ सामानों पर पांच सालों के लिए फिर anti-dumping ड्यूटी लगाने की घोषणा की है। ऐसा डमे स्टिक मैन्युफैक्चरिंग को चीन से बचाने के लिए किया गया है। चीन ने हमेशा से WTO और फ्री ट्रेड अग्रीमेंट का फायदा उठाया और भारत में बड़े पैमाने पर सस्ता और घटिया क्वॉलिटी के चाइनीज सामान को डंप किया है। हालांकि सरकार अब इसको गंभीरता से ले रही है।
फाइबर ग्लास मापने के टेप पर ड्यूटीडायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडीज (DGTR) ने चीन से आयात होने वाले स्टील और फाइबर ग्लास मापने के टेप पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई है। DGTR वाणिज्य मंत्रालय का इन्वेस्टिगेशन विंग है।
लोकल मैन्युफैक्चरर्स को होगा फायदा
DGTR ने कहा कि चीन इस सामान को लगातार भारतीय बाजार में डंप कर रहा है। डंपिंग के कारण कीमत काफी कम होती है, जिससे भारतीय बाजार में यह आसानी से पैठ बना सकता है।
ऐसे में लोकल मैन्युफैक्चरर्स को बचाने के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया गया है।
किस तरह लगेगी ड्यूटी?
डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने नोटिफिकेशन निकाल कर कहा कि चीन से आयात होने वाले कुछ सामानों पर पांच सालों के लिए definitive anti-dumping ड्यूटी लगाई गई है। कुछ कंपनियों पर यह 1.83 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम होगी तो कुछ कंपनियों पर यह 2.56 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम होगी। यह ड्यूटी इंडियन करंसी यानी रुपये में चुकानी होगी। यह ड्यूटी पहली बार 9 जुलाई 2015 को पांच सालों के लिए लगाई गई थी। अब उसी को अगले पांच साल के लिए फिर से बढ़ा दिया गया है।
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