16 दिसंबर का दिन भारतीय सेना के साहस, वीरता की कहानी कहता है। आज ही के दिन 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटा दी थी और दुनिया के नक्शे पर एक नया देश उभरा था, बांग्लादेश।
दरअसल, 1971 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान का एक हिस्सा था जिसको 'पूर्वी पाकिस्तान' कहते थे। वर्तमान पाकिस्तान को 'पश्चिमी पाकिस्तान' कहते थे।
1969 में पाकिस्तान के तत्कालीन सैनिक शासक जनरल अयूब के खिलाफ 'पूर्वी पाकिस्तान' में असंतोष बढ़ गया था। बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान के आंदोलन के दौरान 1970 में यह अपने चरम पर था।
कई सालों के संघर्ष और पाकिस्तान की सेना के अत्याचार के विरोध में 'पूर्वी पाकिस्तान' के लोग सड़कों पर उतर आए थे। इस जुल्म के खिलाफ भारत बांग्लादेशियों के बचाव में उतर आया।
बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराने के लिए 'मुक्ति वाहिनी' का गठन किया गया था। इसमें पूर्वी पाकिस्तान के सैनिक और हजारों नागरिक शामिल थे।
31 मार्च, 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सांसद में भाषण देते हुए पूर्वी बंगाल के लोगों की मदद का एलान किया। 29 जुलाई को सार्वजनिक रूप से पूर्वी बंगाल के लड़ाकों की मदद करने की घोषणा की गई।
भारतीय सेना ने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी। इस तैयारी में मुक्तिवाहिनी के लड़ाकों को प्रशिक्षण देना भी शामिल था।
भारतीय सेना के मेजर जनरल जेएफआर जैकब ने ढाका जाकर पाकिस्तानी जनरल नियाजी से बात कर उसे सरेंडर करने को कहा था।
नियाजी ने पहले अकड़ दिखाने की कोशिश की पर जब जैकब ने कहा कि बहुत अच्छा प्रस्ताव है सरेंडर कर दीजिए, वरना आगे की जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी। इसके बाद नियाजी ने करीब 93 हजार सैनिकों सहित समर्पण कर दिया।
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