एसएसबी को भारत-भूटान-तिब्बत की सीमा के पास तैनात किया गया है और जवान लगातार सीमा की सुरक्षा में लगे रहते हैं। सीमा पर नई चौकियां बनने की वजह से और गहन तरीके से सुरक्षा की जा सकेगी। बता दें कि एसएसबी जवानों का भारतीय सेना के जवानों के बराबर ही महत्व है। साल 2017 में चीनी सेना के साथ हुए लंबे गतिरोध के दौरान एसएसबी के जवान अपना जौहर दिखा चुके हैं।
इन नई 22 चौकियों के बनने के बाद, अब एसएसबी अपने स्वीकृत चौकियों को पूरा करने के बेहद करीब पहुंच चुकी है। यह संख्या कुल 734 की है और एसएसबी अब तक सीमा पर 722 चौकियां बना चुकी है। सिर्फ 12 का निर्माण ही बाकी रह गया है। एसएसबी के शीर्ष अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ''सीमा पर बनीं इन नई चौकियों की मदद से ट्राई-जंक्शन बॉर्डर पर एसएसबी की ताकत पहले के मुकाबले और अधिक बढ़ जाएगी। ये 22 चौकियों को रिकॉर्ड समय में बनाया गया है और ज्यादातर भारत-भूटान बॉर्डर के पास ही हैं।''
सूत्रों ने आगे कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बीच, इन चौकियों का निर्माण कार्य पिछले वर्षों में बनाई गईं चौकियों की तुलना में बहुत तेजी से किया गया है। वहीं, अधिकारी ने आगे कहा कि कुल स्वीकृत की गईं चौकियों में अब सिर्फ 12 चौकियों का निर्माण होना ही बाकी है। ये 12 चौकियां भारत-भूटान बॉर्डर पर बनाई जानी हैं। ये वहां बनेंगी जहां पर लद्दाख की तरह तापमान माइनस जीरो हो जाता है।
बता दें कि एलएसी पर चीन के साथ जारी गतिरोध की वजह से एसएसबी ने अपने एक भी जवान को ट्राई-जंक्शन समेत महत्वपूर्ण सीमा वाले इलाकों से अलग नहीं किया है। एसएसबी के अधिकारी ने बताया, ''एलएसी पर जारी तनाव के बीच, हमने अपने एक भी जवान को किसी भी लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी के लिए नहीं भेजा है। सभी जवान चौकियों पर ही तैनात हैं। वहीं, अगर स्टाफ की कमी होती भी है, तो उसे तुरंत पूरा कर लिया जाएगा। वर्तमान में, इन क्षेत्रों में तैनात एसएसबी की 100 प्रतिशत ताकत है।'' उन्होंने आगे बताया कि हम अन्य हिस्सों से जवानों को वापस बुलाकर उन्हें जरूरत के अनुसार देश के अन्य हिस्सों में भेज रहे हैं। प्रमुख सीमा क्षेत्रों में तैनात जवानों की संख्या भविष्य में भी कम नहीं की जाएगी।
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