● कुछ अलग करने की चाह रखने वाली रांंची की बेटी वन्या वत्सल ने सालाना 28 लाख रुपये के पैकेज वाली नौकरी को छोड़ ऑर्गेनिक सैनेटरी पैड्स का काम शुरू किया है।
● आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित वन्या ने एक कंपनी की शुरुआत कर पूरी तरह से इको फ्रेंडली पैड्स बनाने शुरू किए हैं।
● इलारिया नाम के सैनेटरी पैड्स के निर्माण में दो स्थानीय आदिवासी महिलाएं जुटी हैं। ये दोनों ही महिलाएं इससे पहले लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा का काम करती थीं।
● इन महिलाओं की मानें, तो अब उनके पास अपने परिवार के लिये पैसे भी हैं और समय भी। आज वे सम्मान के साथ रोजगार कर रही हैं।
● वन्या बताती हैं कि वह खुद के लिये और महिलाओं के लिये कुछ अलग करना चाहती थीं। इसीलिए बेंगलुरु स्थित एक मल्टी नेशनल बैंक की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर झारखंड चली आईं।
● IIM लखनऊ से MBA की डिग्री हासिल करने वाली वन्या अपने इस कदम को आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने की ओर बढ़या एक कदम मानती हैं।
● उनका कहना है कि रोजगार मांगने से अच्छा है खुद को रोजगार देने लायक बनाना। इसी पर अमल करते हुए उन्होंने नौकरी छोड़ कर यह स्वरोजगार शुरू किया।
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