राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास जारी कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्ना किसानों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने कैबिनेट बैठक में चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने का फैसला लिया है। सब्सिडी का पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजा जाएगा। सरकार का दावा है कि इस फैसले से पांच करोड़ किसानों को फायदा होगा। इसके अलावा, सरकार ने स्पेक्ट्रम की नीलामी करने का भी फैसला लिया है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया, ''कैबिनेट ने सब्सिडी का पैसा सीधे खातों में जमा कर किसानों की मदद करने का फैसला लिया है। 60 लाख टन चीनी निर्यात पर 6000 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दी जाएगी।'' उन्होंने कहा कि इस फैसले से 5 करोड़ किसानों और चीनी मिलों में काम करने वाले 5 लाख श्रमिकों की मदद होगी।
जावड़ेकर ने कहा, ''इस साल चीनी का उत्पादन 310 लाख टन होगा। देश की खपत 260 लाख टन है। चीनी का दाम कम होने की वजह से किसान और उद्योग संकट में है। इसको मात देने के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात करने और निर्यात को सब्सिडी देने का फैसला किया गया है।'' उन्होंने आगे बताया कि 3500 करोड़ रुपए की सब्सिडी, प्रत्यक्ष निर्यात का मूल्य 18000 करोड़ रु. किसानों के खाते में जाएगा। इसके अलावा घोषित सब्सिडी का 5361 करोड़ रुपया एक सप्ताह में किसानों के खाते में जमा कर दिया जाएगा।
सरकार ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान एकमुश्त 10,448 रुपये प्रति टन की निर्यात सब्सिडी दी थी। इससे सरकारी खजाने पर 6,268 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था।
वहीं, एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि स्पेक्ट्रम आवंटन के अगले दौर के लिए नीलामी को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। आखिरी नीलामी 2016 में हुई थी। कैबिनेट ने 20 साल की वैधता अवधि के लिए 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी है। कुल 2251.25 मेगाहर्ट्ज की कुल वैल्यूएशन 3,92,332.70 करोड़ रुपये की गई है।
टेलीकॉम विभाग के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय- डिजिटल संचार आयोग ने मई में स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी थी। यह मंजूरी मंत्रिमंडल की अनुमति पर निर्भर थी। टेलीकॉम विभाग को अगले दौर की नीलामी के लिए अधिसूचना जारी करना है। दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो के अनुसार, 3.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य का स्पेक्ट्रम बिना किसी उपयोग के नीलामी के लिए पड़ा है। टेलीकॉम मंत्रालय को दूरसंचार परिचालकों से स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में औसतन 5 प्रतिशत राजस्व हिस्सा मिलता है। इसका आकलन कंपनियों के पास उपलब्ध स्पेक्ट्रम के आधार पर होता है। इसके अलावा संचार सेवाओं की बिक्री से प्राप्त आय में से लाइसेंस शुल्क के रूप में 8 प्रतिशत हिस्सा मिलता है।
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