भाजपा नेतृत्व ने अपने मिशन पश्चिम बंगाल के लिए जनवरी माह के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। पार्टी इस महीने दो प्रमुख दिवसों विवेकानंद जयंती और सुभाष चंद्र बोस जयंती पर कई बड़े कार्यक्रम करेगी। इसके जरिए वह बंगाल को राष्ट्रीय जागरण और उसकी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय भूमिका से जोड़कर अपनी पैठ और मजबूत करेगी।
दिसंबर माह में पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच दौरों की राजनीति चरम पर रही। भाजपा से पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने दौरे कर राज्य की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ाईं। अमित शाह के दौरे में तो नौ विधायकों और एक सांसद ने भाजपा का दामन भी थामा। इसके बाद पलटवार करते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन स्थानों का दौरा किया जहां-जहां भाजपा नेता गए थे। अब जनवरी में दोनों दलों के बीच टकराव और बढ़ेगा।
जहां तृणमूल कांग्रेस क्षेत्रीय अस्मिता, बंगाल की धरोहर को लेकर आगे बढ़ रही है, वहीं भाजपा खुद को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पार्टी बता कर राष्ट्रीय फलक पर बंगाल की भूमिका से खुद को जोड़ रही है। भाजपा ने इस महीने में 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई कार्यक्रम करने की तैयारी की है।
विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस की भूमिका राष्ट्रीय फलक से लेकर अंतरराष्ट्रीय फलक तक रही है। भाजपा इसके जरिए बंगाल को क्षेत्रीय भूमिका के बजाय उसके राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ से जोड़ेगी। इसके जरिए भाजपा राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करेगी और तृणमूल कांग्रेस की क्षेत्रीय राजनीति की भूमिका को सीमित करने की कोशिश भी करेगी।
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