सिद्धार्थनगर। सर्द मौसम की शुरुआत होने से खांसी और जुकाम के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। ठंड का प्रकोप बढ़ने के बाद जिला अस्पताल में इन रोगों से ग्रस्त मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। इनमें हर उम्र के लोग शामिल हैं। मगर जिला अस्पताल में इन्हें वे दवाएं नहीं मिल पा रही हैं जिसकी उन्हें जरूरत है। कफ सिरप जिला अस्पताल में कई दिनों से नहीं है। चिकित्सक लिखने के बाद दवा औषधि वितरण केंद्र पर उन्हें खांसी से निजात दिलाने के लिए सिट्रीजन टेबलेट और एंटीबायोटिक दवा दे रहे हैं। ऐसे में विवश होकर मरीज को बाहर महंगे दाम पर दवा खरीदनी पड़ रही है।
सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने की बात कर रही है। मगर जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। 27 लाख की आबादी वाले जनपद में इलाज का बड़ा साधन जिला अस्पताल है। जिले के सीएचसी, पीएचसी पर इलाज के बाद स्वस्थ न होने के बाद मरीज इस आसा में जिला अस्पताल आते हैं कि उनका अच्छा इलाज होगा और अच्छी दवा मिलेगी। मगर यहां आने के बाद उन्हें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है। ठंड बढ़ गई है। ऐसे में हर उम्र के लोग खांसी, जुकाम के शिकार हो रहे हैं, लेकिन अस्पताल आने के बाद उन्हें खांसी से बचाव के लिए कफ सिरप नहीं मिल रहा है। जिला अस्पताल में बच्चे का इलाज कराने के लिए आए आदित्य द्विवेदी, राजेश यादव ने बताया कि बच्चा खांसी और जुकाम से परेशान था। इलाज के लिए अस्पताल लाया था। चिकित्सक द्वारा कफ सिरप लिखा गया था। मगर जब औषधि वितरण केंद्र पहुंचा तो पता चला कि कफ सिरप नहीं है। उसके एवज में दूसरी दवा दे रहे थे। दवा नहीं ली, बाहर से दवा लेनी पड़ी। जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रहा हैं। सीएमएस डॉ. आरके कटियार ने बताया कि कफ सिरप अस्पताल में नहीं है। इसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। स्टोर में जानकारी लेने के बाद जल्द ही सिरप उपलब्ध करा दिया जाएगा।
प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं 700 से अधिक मरीज
जिला अस्पताल के पर्ची काउंटर से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक प्रतिदिन 700 से अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें लगभग 200 की संख्या बच्चों की है। पर्ची काउंटर से जुड़े कर्मचारी के मुताबिक ठंड की शुरुआत होने के बाद सर्दी, खांसी, बुखार, उल्टी और दस्त के मरीज अधिक आ रहे हैं। इनमें हर उम्र के लोग शामिल हैं।
तीन वर्ष के ऊपर के बच्चों को पिलाएं काढ़ा
जिला अस्पताल के बालरोग विशेषज्ञ डॉ. संजय चौधरी ने बताया कि ठंड का सबसे अधिक असर बच्चों पर है। उन्हें ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं, बाहर न घुमाएं, हमेशा उनका ध्यान देते रहें। अगर पानी पिला रहे हैं तो उसे गुनगुना अवश्य कर लें, तभी पिलाएं। ढाई वर्ष से ऊपर उम्र के बच्चों को काढ़ा पिलाएं। अगर उल्टी, दस्त शुरू हो तो तत्काल चिकित्सक के पास ले जाएं। इन बातों को ध्यान में रखकर उन्हें रोग से बचा सकते हैं।
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