सियासत अनिश्चिताओं का खेल है, यहां जो कुछ भी होता है उसके मायने जरूर होते हैं। अब राजस्थान को ही ले लीजिए, जहां एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज राजस्थान बीजेपी के नेताओं को दिल्ली तलब किया है। तो वहीं सबसे अहम बात यह है कि एक समय प्रदेश की सीएम रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस बैठक से दूर रखा गया है।
दूसरी तरफ, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर जेपी नड्डा से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। एक तरह से यह हर किसी को अचम्भे में डाल देने वाला फैसला है।
गौरतलब है कि, राजस्थान की राजनीति में यह नया नहीं है। पिछली बार जब राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संकट शुरू हुआ था, तब यह लोग मिलने पहुंचे थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के द्वारा अचानक से इन नेताओं के बुलाने को लेकर कई तरह के क़यास लगाए जा रहे हैं। हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर राजस्थान सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया था। इसलिए नड्डा से हो रही इस मुलाकात की चर्चा ज्यादा है।
राजस्थान की सियासत में विभिन्न दलों के लोगों में यह चर्चा का विषय है कि आख़िर जेपी नड्डा ने राजस्थान के इन तीनों बड़े नेताओं को दिल्ली क्यों बुलाया है?
कहा जा रहा है कि जेपी नड्डा के साथ इस मीटिंग के बाद राजस्थान सरकार को गिरा बीजेपी प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव कर सकती है। हालांकि इस मुलाक़ात पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि, यह सामान्य बैठक है। राजस्थान में विधानसभा के तीन उप चुनाव होने हैं, इसके अलावा निकायों के चुनाव होने हैं, इसकी तैयारियों के सिलसिले में यह बैठक बुलायी गई है।
आपको बता दें कि, पिछले दिनों ही वसुंधरा राजे के विरोधी नेता घनश्याम तिवाड़ी की बीजेपी में वापसी हुई थी। वसुंधरा राजे के विरोध की वजह से घनश्याम तिवाड़ी की वापसी नहीं हो पा रही थी। मगर अब माना जा रहा है कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा विरोधी खेमा मजबूत हो रहा है और घनश्याम तिवाड़ी की वापसी इसी ओर इशारा कर रही है।
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