उन्होंने कहा था कि मैं जब पाकिस्तान के बारे में खबरें पढ़ता हूं तो हिंदुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व होता है। किसी मुस्लिम नेता के पीएम बनने की महत्वाकांक्षा को मुश्किल बताने वाले गुलाम नबी आजाद ने 2018 में एएमयू में एक कार्यक्रम में कहा था कि उनकी ही पार्टी के हिंदू नेता अब उन्हें प्रचार में बुलाने से हिचकते हैं। गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि कांग्रेस के ऐसे बहुत कम हिंदू प्रत्याशी हैं, जो उन्हें प्रचार के लिए बुलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि मुझे चुनाव प्रचार के लिए बुलाने वाले हिंदू प्रत्याशियों की संख्या में तेजी से कमी आई है। उन्होंने कहा था कि इसकी वजह यह है कि लोगों को लगता है कि मेरे जाने से उनके समर्थन में कमी आ जाएगी।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि देश का माहौल काफी खराब हो गया है। उन्होंने कहा था, 'पहले 99 फीसदी हिंदू कैंडिडेट मुझे मुस्लिम वोटों को पाने के मकसद से चुनाव प्रचार में बुलाते थे। अब यह आंकड़ा 40 फीसदी ही रह गया है क्योंकि उन्हें मेरे जाने से हिंदू वोटों के खोने का डर है।'
गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि मैंने महाराष्ट्र में आम चुनाव 1979 में लड़ा था और मेरे सामने जनता पार्टी का हिंदू प्रत्याशी था और संसदीय क्षेत्र की आबादी भी 95 फीसदी हिंदू थी। इसके बाद भी मुझे जीत मिली थी। अब ऐसा माहौल नहीं है। यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने बीजेपी के प्रति नरम रुख अपनाने के आरोपों को लेकर भी सख्ती से बात करते हुए कहा कि वह भगवा पार्टी में तब शामिल होंगे, जब कश्मीर में काली बर्फ पड़ने लगेगी।
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