संतोष कौशल
गुझियो में पड़ने वाली मेवा- मिष्ठानो के बढ़े दाम
बिस्कोहर। किसी ने क्या खूब कहा है कि वक्त बदल गया, हालात बदल गए, खून का रंग नहीं बदला, पर खून के कतरे बदल गए। दिन रात नहीं बदले मगर मौसम बदल गए, होली तो वही है मगर होली के रंग बदल गए। इन पंक्तियाें का अर्थ हर आम व खास बखूबी जानते हैं। होली की गुझियों को महंगाई मार गई है। खोया ही नहीं, गुझियों में पड़ने वाली सामग्री भी महंगी हो गई है। कभी खाने को बनाई जाने वाली गुझियां अब शगुन को बनाई जाती है। होली गुझियों का पर्व माना जाता है। कभी व्यापक रूप से बनाई जानी वाली गुझियों को महंगाई मार गई है और यह औपचारिकता बनकर रह गई हैं। गुझियां बनाने को मैदा हो या रिफाइन तेल सभी महंगा हो गया। मैदा व सूजी पर दाम बढ़े तो रिफाइन तेल ने भी उछाल मारे। खोया तो रिकॉर्ड ही तोड़ रहा है। खोया अभी से 340 रुपए किलो पहुंच गया है, तो जरूरी मेवा रिकार्ड ही तोड़ रहा है। मखाना 600 सौ से 800 रुपए किलो पहुंच गया है। गरी नारियल का भाव 150 रुपए से 240 रुपए, किसमिस 250 से 320 रुपए, फॉर्चून रिफाइन तेल प्रति लीटर 150 रूपया पहुंच गया है। जिसका सीधा असर गुझिया पर पड़ा है। कभी होली के एक सप्ताह पहले से ही घरों में शुरू होने वाली तैयारी अभी तक शुरू नहीं की जा सकी हैं। होली के मद्देनजर आम लोगों को मेहमानों की मेहमान नवाजी में या तो अबकी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है या फिर मेहमानों के सामने सजी प्लेटों की संख्या को कम करनी पड़ सकती है।’
No comments:
Post a Comment
If you have any type of news you can contact us.