संतोष कौशल
बिस्कोहर । नगर पंचायत बिस्कोहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में आज से 50 साल पहले की होली गजब की होती थी। बुजुर्गों ने बताया कि तब होली के गीतों में देवी-देवताओं का सुमिरन किया जाता था। गांव के मंदिर और चौराहे पर मंडली होली की गीत गाती थी। अब होली के गीतों में अश्लीलता है। होली के दिन बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता था लेकिन आज के युवा शराब के नशे में धुत रहते हैं। पैसे न देने पर माता-पिता से मारपीट करते हैं। बिस्कोहर निवासी 70 से 75 वर्षीय बुजुर्ग राम निवास कसौधन, परशुराम गुप्ता, घिराऊ कौशल, राम गुलाम गुप्ता, राजू भोजवाल ने बताया कि बसंत पंचमी के बाद ही होली की तैयारी शुरू हो जाती थी। होली को लेकर काफी उत्साह सभी लोगों में दिखता था। पुरानी संस्कृति के अनुसार शाम ढलते ही होली गीत गाने वालों की टोली मंदिरों पर एकत्रित होने लगती थी। आधी रात तक गीत गाने का दौर चलता रहता था। देवी-देवताओं पर आधारित होली गीत गाए जाते थे। होली की गीतों से पूरा गांव गुंजायमान रहता था। इसमें बुजुर्ग, युवा व बच्चे एक साथ बैठते थे। उस वक्त महिलाएं भी गीत सुनने के लिए पहुंचती थीं। आज के दौर में ज्यादातर ध्वनि विस्तारक यंत्र से होली के गीत सुनाई पड़ती है। गीत के बोल में अश्लीलता झलकती है। यहां तक की होली में बजने वाले कई गाने परिवार के सदस्यों के साथ सुनने लायक भी नहीं होते है।
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